फरवरी में कुंभ, तुला, मिथुन, कर्क सिंह पांच राशि वालों के लिए चिंता, जानिए उपाय
अयोध्या: फरवरी माह शुरू होने वाला है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रह नक्षत्र गोचर करेंगे. ऐसी परिस्थिति में कुछ राशियों के लिए अशुभ तो कुछ राशियों के लिए शुभ का प्रभाव पड़ेगा. ज्योतिष के मुताबिक 31 जनवरी को शनि देव कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं. फरवरी का माह पांच राशि के लिए दुर्भाग्यशाली होने वाला है. तो चलिए जानते हैं कहीं आप भी तो नहीं है इस राशि में शामिल.
31 जनवरी को कुंभ राशि में शनि देव अस्त हो रहे हैं. जिसके बाद फरवरी माह में 5 राशियों के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण है.
कुंभ राशि
फरवरी माह में कुंभ राशि के जातकों के लिए अपना कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा. फरवरी माह चुनौतीपूर्ण से भरा होगा व्यापार में घाटा हो सकता है. पारिवारिक जीवन में चुनौतियां बनी रहेंगी.
तुला राशि
इस राशि के जातकों को फरवरी माह काफी कठिनाइयों का होगा. कार क्षेत्र में काम करने का मन नहीं लगेगा. इस राशि के जातकों को इस माह संघर्ष करना पड़ेगा. इसके अलावा परिवार में सामंजस्य की कमी देखने को मिलेगी.
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए यह महीना बाधाओं से भरा रहेगा. पारिवारिक जीवन में सजग और समझदारी से रहना होगा. नौकरी में बदलाव हो सकता है.
कर्क राशि
फरवरी माह में कर्क राशि के जातकों के व्यापार में घाटा हो सकता है. परिवार में वाद विवाद हो सकता है. विषम परिस्थितियों में सूझबूझ से काम लेने की जरूरत है.
सिंह राशि
इस राशि के जातकों को नौकरी में दबाव झेलना पड़ेगा. फरवरी माह में इस राशि के लोगों को धन की हानि हो सकती है. व्यापार में वृद्धि होने से वंचित रह सकते हैं.
जानिए क्या है उपाय?
ज्योतिषाचार्य पंडित बताते हैं कि इन राशि के जातकों को चाहिए कि सावधानीपूर्वक अपने कार्यों को करें, यही बेहतर होगा. शनि की अनुकूलता पर विशेष ध्यान दें अन्यथा विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में सुंदरकांड, हनुमान चालीसा और भगवान शनि देव के मंत्रों का जप करें. इसके साथ ही शनिवार के दिन प्रातः काल तांबे के लोटे में जल काला तिल डालकर पीपल के पेड़ के नीचे अर्पित करें. सायकाल की बेला में सरसो का दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे जलाएं.
इन मंत्रों का करें जप
ॐ शं शनिश्चराय नम:अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
नोट: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है. UMH NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.