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यहां गिरा था माता सती का हाथ, नवरात्रि के पहले दिन उमड़ती है लाखों श्रद्धालुओं की भीड़

प्रयागराज : तीर्थ नगरी प्रयागराज में वैसे तो कई दर्शनीय और पूजनीय स्थल है. लेकिन एक ऐसा अनोखा मंदिर जहां नवरात्रि पर लाखों श्रद्धालुओं की प्रतिदिन भीड़ उमड़ती है. न सिर्फ कई जिलों के बल्कि कई राज्यों के श्रद्धालु यहां मंदिर प्रांगण में आकर माता का भव्य दर्शन की प्राप्ति करते हैं. खास बात यह है कि यहां पर माता की मूर्ति ही नहीं है यानी बिना मूर्ति की ही माता की पूजा होती है. शक्ति का ऐसा स्वरूप प्रयागराज में आज भी विद्यमान है.

शहर के चुंगी स्थित अलोप शंकरी देवी जी का प्राचीन मंदिर नवरात्रि पर आस्था का सबसे बड़ा केंद्र होता है. जहां प्रतिदिन हजारों-लाखों श्रद्धालु माता के भव्य पालने वाले स्वरूप का दर्शन करने आते हैं. यहां देवी की प्रतिमा नहीं स्‍थापित है, बल्कि उनके प्रतीक स्‍वरूप पालने की पूजा होती है. इस मंदिर का पुराणों में भी वर्णन बताया जाता है. मान्‍यता है कि मां सती के हाथ का पंजा यहां गिरने के बाद विलुप्त हो गया था. इसी कारण इस शक्तिपीठ का नाम अलोपशंकरी हुआ. स्थानीय लोग इसे अलोपीदेवी के नाम से भी जानते हैं.

चुनरी में लिपटे पालने की होती है पूजा
मां दुर्गा के कई स्वरूप हैं, जिनके दर्शन-पूजन के लिए शक्तिपीठों में देवी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. देवी के इन मंदिरों में अपने विभिन्न रूपों में मां विद्यमान हैं. प्रत्येक मंदिर में मां के किसी न किसी अंग के गिरने की मूर्त निशानी मौजूद है, लेकिन संगम नगरी में मां सती का एक ऐसा शक्तिपीठ मौजूद है जहां न मां की कोई मूर्ति है और न ही किसी अंग का मूर्त रूप है. अलोपशंकरी देवी के नाम से विख्यात इस मंदिर में लाल चुनरी में लिपटे एक पालने का पूजन और दर्शन होता है

यहां गिरा था मां सती के दाहिने हाथ का पंजा
प्रयागराज में दारागंज से रामबाग की ओर जाने वाले मार्ग पर अलोपशंकरी का मंदिर स्थित है. इन्हीं के नाम पर यहां अलोपीबाग मुहल्ला है. मंदिर की देखरेख करने वाले महंत भी हैं. इस मंदिर का पुराणों में भी वर्णन मिलता है.

मंदिर के गर्भगृह में कुंड के ऊपर लगा है पालना
अलोपशंकरी मंदिर के गर्भगृह में बीचोबीच एक चबूतरा बना है जिसमें एक कुंड है. कुंड के ऊपर चौकोर आकृति का लकड़ी का पालना है. जिसे झूला भी कहते हैं. कुंड के ऊपर चौकोर आकार में लकड़ी का एक पालना या झूला भी रस्सी से लटकता रहता है. जो एक लाल कपड़े (चुनरी) से ढंका रहता है. हजारों की संख्या में भक्त यहां मां का दर्शन करने आते हैं.

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