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Navratri 2023 : मां दुर्गा की अष्ट भुजाएं किस बात का हैं प्रतीक? जानें अर्थ और महत्व

चैत्र नवरात्रि का त्यौहार माता भक्तों के लिए विशेष आराधना का समय होता है. साल में दो नवरात्रि आती हैं. पहली चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि. इन दोनों ही नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का विधिपूर्वक पूजन-अर्चन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में मां के पूजन से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. कई लोग सिद्धियां प्राप्त करने के लिए नवरात्रि का समय विशेष मानते हैं. मां दुर्गा को अष्टभुजा धारी कहा जाता है. कई मूर्तियों या तस्वीरों में भी माता रानी की आठ भुजाएं नज़र आती हैं. आखिर मां दुर्गा की अष्ट भुजाएं किस बात का प्रतीक हैं?

दिशाओं की प्रतीक हैं अष्ट भुजाएं
मां दुर्गा की अष्ट भुजाएं कई प्रतिमाओं या तस्वीरों में नजर आती हैं. पंडित चंद्र भूषण के अनुसार माता की आठ भुजाएं 8 दिशाओं का प्रतीक मानी जाती हैं. ये इस बात का भी प्रतीक हैं कि मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा सभी आठ दिशाओं से कर रही हैं और वे हमेशा हर परिस्थिति में अपने भक्तों के लिए मौजूद रहती हैं.

त्रिशूल भी है 3 गुणों का प्रतीक
अष्ट भुजाधारी मां दुर्गा के स्वरूपों के हाथ में त्रिशूल भी धारण रहता है. त्रिशूल का भी धार्मिक रूप से विशेष महत्व माना जाता है. त्रिशूल तीन गुणों का प्रतीक माना जाता है. पहला सत्व, दूसरा रजो गुण और तीसरा तमो गुण का प्रतीक है. मान्यता है कि त्रिशूल के जरिये मां दुर्गा इन तीनों ही गुणों का संतुलन बनाकर रखती हैं.

इस वजह से कहलाती हैं मां दुर्गा
मां दुर्गा का रुप जितना ममतामयी है, दुष्टों के लिए उतना ही भीषण भी है. मां को दुर्गा का नाम महिषासुर का मर्दन यानी वध करने के बाद मिला था. महिसासुर के साथ चले घोर युद्ध में माता ने उसका वध किया था, जो कि अत्याचार और अन्याय का प्रतीक बन चुका था. महिषासुर का वध कर माता ने अपने भक्तों की रक्षा की थी.

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