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नोएडा : 60-70 साल की महिलाओं ने NTPC के खिलाफ संभाला मोर्चा, ठंड में अब तक 35 की तबीयत बिगड़ी

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नोएडा, हमारी जमीन मुफ्त में NTPC ने ले ली। हमारे बच्चे भूखे मर रहे हैं। यह कहते हुए नोएडा के दादरी गांव में रहने वाली 73 साल की विमला का गला भर आया। वह NTPC के अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं में शामिल हैं।

सिर्फ विमला नहीं, यहां 60-75 साल उम्र की ज्यादातर महिलाएं धरने पर बैठीं हैं। यह भीषण ठंड में NTPC ऑफिस के बाहर एलिवेटड रोड के नीचे कंबल ओढ़े धरना दे रही हैं। 100 से ज्यादा की संख्या में धरना प्रदर्शन में मौजूद महिलाएं उन 24 गांव की हैं, जिनकी जमीन का 1986 और उसके बाद के साल में NTPC ने थर्मल पावर प्लांट के लिए अधिग्रहण किया था।

यह धरना प्रदर्शन कई महीनों से चल रहा है। पहले दादरी में चल रहा था, अब नोएडा शिफ्ट हो गया। पहले किसान और उनके परिवार के लोग डटे रहे। अब घर की बुजुर्ग महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया है। उनका कहना है कि 1986 में जमीन का अधिग्रहण हुआ। उस वक्त तमाम वादे किए गए लेकिन वो अब तक पूरे नहीं किए गए।

भीषण ठंड और खुले में धरने के कारण पिछले 48 घंटों में 50 से ज्यादा बुजुर्ग महिलाएं बीमार हो चुकी हैं। उनको पेट दर्द और बुखार की शिकायत है, लेकिन वो धरने से घर नहीं जाना चाहती हैं। कहती हैं इस बार या तो आर या पार।

करीब 100 से ज्यादा महिलाएं धरने पर बैठीं हैं। वहां टेंट लगा हुआ है। रजाई-गद्दे पड़े हुए हैं। प्रदर्शनकारियों की भीड़ को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण ने बायो टॉयलेट लगा दिए हैं। सुबह उठने के बाद दो-दिन घंटे तक सभी प्रदर्शनकारी महिलाएं दैनिक प्रकिया के बाद हवन करती हैं।

यह कार्यक्रम एक से डेढ़ घंटे तक चलता है। इसके बाद प्रदर्शनकारी महिलाओं के लिए दोपहर का खाना भी यहीं बनता है। सभी महिलाएं मिलकर खाना बनाती हैं। इसके बाद प्रदर्शन और नारेबाजी होती है। शाम को अगले दिन की चर्चा के बाद ये महिलाएं यहीं कंबल ओढ़ कर सो जाती हैं। महिलाओं के साथ ही किसान और उनके परिवार के लोग भी धरने पर बैठे हैं।

भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा इन प्रर्दशन का नेतृत्व कर रहे हैं। वह कहते हैं कि पिछले 35 सालों से NTPC मैनेजमेंट किसानों को बरगला रहा है। न समान दर से मुआवजा मिला न नौकरी और न ही अन्य सुविधाएं मिलीं।

पूर्व में किसानों के द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की कमेटी बनी थीं। उन्होंने भी किसानों की मांगों को सही ठहराते हुए रिपोर्ट दी। लेकिन तीन माह से अधिक का समय होने के बावजूद उनकी कोई भी मांग पूरी नहीं मानी गई। वह बताते हैं…

  • NTPC ने दादरी परियोजना के लिए 1986,1987,1989,1991 और 1994 में जमीन का अधिग्रहण किया। इस दौरान किसानों को मुआवजा राशि एक समान न होकर NTPC ने अलग-अलग तय की।
  • कुछ किसानों को 8 रुपए, 20 रुपए और 45 रुपए प्रतिगज के हिसाब से मुआवजा और नौकरी दी गई। इस वित्तीय साल में कुछ किसानों को 120 रुपए प्रतिगज के हिसाब से मुआवजा दिया गया।
  • मुआवजे की दर में बहुत अंतर है। इसलिए एक समान मुआवजा दिया जाए। 2291 परिवारों ने NTPC की स्थापना के लिए अपनी जमीन दी। इनमें केवल 182 प्रभावित व्यक्तियों को NTPC में नौकरी दी गई।

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