1100 करोड़ का घोटाला, कानपुर के अपर नगर आयुक्त फंसे
मेरठ, कानपुर के अपर नगर आयुक्त अमित कुमार भारतीय 1100 करोड़ के जमीन घोटाले में फंस गए हैं। मामला मेरठ का है। 1972 में मोदी रबर कंपनी को सरकार ने 117 एकड़ जमीन लीज पर दी थी। मोदी रबर कंपनी ने जमीन को 2010 में जर्मनी की कंपनी कॉन्टिनेंटल को बेच दिया। इस जमीन की कीमत मौजूदा सर्किल रेट के हिसाब से करीब 1100 करोड़ रुपए है।
उस वक्त अमित कुमार भारतीय मेरठ में सरधना के एसडीएम थे। उन्होंने इस जमीन का फर्जी तरीके से दाखिल खारिज कराया था। तत्कालीन कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने मामले में तीन अधिकारियों की कमेटी गठित करके जांच कराई। जांच में आरोप सही पाए जाने पर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
अब विभागीय जांच कानपुर के मंडल आयुक्त अमित गुप्ता को दी गई है। उन्होंने कहा, ‘मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर जांच रिपोर्ट मांगी गई है, तो संबंधित अधिकारी की जांचकर रिपोर्ट भेजी जाएगी।’
मेरठ में RTI एक्टिविस्ट लोकेश खुराना ने कमिश्नर सुरेंद्र सिंह से शिकायत की। आरोप लगाया कि मोदी रबर लिमिटेड ने लीज की जमीन कॉन्टिनेंटल को बेची, लेकिन राज्य सरकार को कोई जानकारी नहीं दी। तत्कालीन तहसीलदार सरधना ने लीज डीड की शर्तों के विपरीत राजस्व अभिलेखों में जमीन का दाखिल खारिज 27 जून, 2011 को कर दिया।
नियम तोड़कर हुए इस दाखिल खारिज के विरुद्ध एसडीएम सरधना की कोर्ट में शिकायत की गई, तो उन्होंने तहसीलदार के आदेशों को अग्रिम आदेशों तक स्थगन कर दिया। 24 फरवरी, 2020 को तत्कालीन एसडीएम सरधना अमित कुमार भारतीय ने मोदी कॉन्टिनेंटल से नया आवेदन पत्र लिया। इसके आधार पर राज्य सरकार की अरबों की भूमि को मोदी कॉन्टिनेंटल के नाम अवैध रूप से दर्ज कर लिया।
कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने मामले में जांच समिति बनाई। इसमें मेरठ विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अपर आयुक्त चैत्रा वी. एमडीए, उपाध्यक्ष शशांक चौधरी और एसडीएम सदर संदीप भागिया को शामिल किया। समिति से 15 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी थी। जांच में सारे आरोप सही पाए गए। शासन को पूरे मामले की रिपोर्ट भेज दी गई।
हाईकोर्ट में दाखिल की थी पीआईएल RTI एक्टिविस्ट लोकेश खुराना ने मामले में हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा तो पूरे मामले की फाइल तलब की गई। प्रदेश सरकार में विशेष सचिव विजय कुमार ने कानपुर के अपर नगर आयुक्त अमित कुमार भारतीय को भ्रष्टाचार में दोषी पाते हुए चार्जशीट जारी कर दी है। पूरे मामले की जांच कानपुर मंडल के आयुक्त को दी गई है।
विधायक ने भी उठाया था विधानसभा में मामला मामले को कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने भी विधानसभा में उठाया था, लेकिन शासन स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
इस तरह सामने आया घोटाला कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने मोदी रबर की सीलिंग की जमीन पर कब्जे के निर्देश दिए थे। एसडीएम सरधना ने मोदी रबर की 26 हजार वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा लेकर बोर्ड लगा दिए। स्कूल और बाकी जमीन पर भी कब्जा लिया जाना था। इसके बाद लीज की 117 एकड़ जमीन को बेचे जाने की बात सामने आई थी।
1972 में सरकार ने दी थी मोदी रबर को लीज पर मोदी रबर लिमिटेड 1972 में गवर्नमेंट एक्ट अंर्तगत ऑटोमोबाइल टायर और ट्यूब निर्माण के लिए स्थापित की गई। फैक्ट्री की स्थापना गांव पल्हैड़ा और पाबली खास की 137.49 एकड़ भूमि लीज पर लेकर की गई। भूमि पर फैक्ट्री और श्रमिकों के लिए 1200 आवासों का निर्माण होना था। इसके लिए मोदी रबर प्रबंधन, तत्कालीन आयुक्त एवं सचिव स्वायत्त शासन और पुनर्वास विभाग के मध्य एग्रीमेंट हुआ।
इन बिंदुओं पर हुई थी जांच
- राज्यपाल और मोदी रबर के बीच गर्वमेंट एक्ट 1895 के अंतर्गत 29 सितंबर 1972 को ग्रांट डीड की शर्तों की शर्तें क्या थीं।
- राज्य सरकार की पूर्वानुमति के बिना जमीन कैसे बेची गई।
- मोदी रबर की भूमि के संबंध में जांच तथा भूमि को राज्य सरकार में पुर्नग्रहित करने के संबंध में संस्तुति।
- ग्रांट डीड की शर्त के अनुसार गारंटी द्वारा ग्रांट डीड के नियम एवं शर्तों के उल्लंघन के संबंध में जांच के बाद स्पष्ट आख्या।
- ग्रांट डीड के अंतर्गत स्थानांतरित 117 एकड़ भूमि के स्थलीय सत्यापन द्वारा कब्जे धारकों का विवरण एवं ग्रांटी उद्योग हेतु वास्तविक रूप से प्रयुक्त की गई भूमि एवं पूर्ण रूप से अप्रयुक्त भूमि का विवरण।
- ग्रांट डीड के माध्यम से दी गई भूमि पर मोदी रबर के अलावा अन्य किसी व्यक्ति द्वारा अवैध कब्जा किए जाने के संबंध में जांच।