PET में सॉल्व कराते MBBS डॉक्टर सहित 3 गिरफ्तार, STF ने दबोचा
लखनऊ में PET-2025 के दौरान STF ने बड़ी कार्रवाई की है। पेपर सॉल्व करा रहे MBBS डॉक्टर सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया। दूसरे की जगह पेपर दे रहा बिहार का एक युवक पकड़ा गया। इसके बाद उसने सॉल्व कराने वाले MBBS डॉक्टर और एक तीसरे आरोपी को भी पकड़वा दिया।
सॉल्वर जियामऊ स्थित जीजीआईसी सेंटर पर पेपर दे रहा था। पेपर के दौरान बायोमेट्रिक और आइरिस स्कैनिंग की जाने लगी तभी वह पकड़ा गया। सॉल्वर सुमित यादव पुत्र राजमनी यादव की जगह पर बैठकर पेपर दे रहा था। उससे कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने खुद को बिहार का रवीश कुमार बताया।
कैसे पकड़ा गया फर्जी परीक्षार्थी
सुबह लगभग 11:30 बजे कंट्रोल रूम से सूचना आई कि सुमित यादव पुत्र राजमनी यादव का आइरिस स्कैन मेल नहीं खा रहा। केंद्र अधीक्षक और बायोमेट्रिक टीम मौके पर पहुंची तो आधार आईडी क्यूआर कोड UIDAI से जेनरेट नहीं हो रहा था और बायोमेट्रिक मिसमैच आ रहा था।
पूछताछ में युवक ने कबूल किया कि उसका नाम रवीश कुमार पुत्र स्व. फकीरा प्रसाद है और वह सुमित यादव के स्थान पर परीक्षा देने आया था। उसके पास से सुमित के आधार कार्ड पर फोटो बदलकर बनाया गया फर्जी दस्तावेज मिला।
स्टैटिक मजिस्ट्रेट की तहरीर पर मुकदमा
स्टैटिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार वर्मा की तहरीर पर गौतमपल्ली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। आरोपी रवीश को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने वास्तविक परीक्षार्थी सुमित यादव और उसके स्थान पर परीक्षा देने वाले रवीश कुमार दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना की धाराओं में केस दर्ज किया है।
आरोपी रवीश कुमार शेखपुरा बिहार के ससवहना का रहने वाला है। डॉक्टर अमित गुप्ता घोसी मऊ के सोनाडेह का है। विकास ताती जमुई बिहार के अमारी का रहने वाला है। पुलिस और STF की टीम को पहले से इनपुट था कि महाराष्ट्र के सोलापुर की एक गैंग यूपी की प्रतियोगी परीक्षाओं में सक्रिय है। नकल और सॉल्वर गिरोह के जरिए फर्जी अभ्यर्थी बैठाए जा रहे थे। उसी निगरानी में यह खुलासा हुआ।
MBBS डॉक्टर बलिया के CHC में तैनात
गौतमपल्ली पुलिस ने जांच आगे बढ़ाते हुए सॉल्वर गिरोह के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपियों में MBBS डॉक्टर अमित गुप्ता बलिया के बांसडीह CHC में संविदा पर तैनात है। पुलिस का कहना है कि यह नेटवर्क बड़ा है और इसकी गहन जांच की जा रही है।
डॉक्टर का बिहार से लखनऊ तक नेटवर्क
UPSSSC PET-2025 की परीक्षा ने एक ऐसे गैंग का चेहरा सामने ला दिया है, जो बेरोजगार युवाओं के सपनों की आड़ में मोटा कारोबार चला रहा था। पुलिस ने रविवार को जियामऊ के परीक्षा केंद्र से जिस सॉल्वर को पकड़ा, उसके पीछे की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि यह गैंग डॉक्टर से लेकर टेक्नीशियन तक का गठजोड़ था, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में सपनों की डिग्री और नौकरी बेच रहा था।
इस तरह शुरू हुआ खेल, MBBS डॉक्टर बना ‘बॉस’
गिरफ्तार आरोपी रवीश कुमार बिहार के शेखपुरा जिले का रहने वाला है। वह खुद कई बार प्रतियोगी परीक्षाएं दे चुका, लेकिन पास नहीं हुआ। यहीं से उसके दिमाग में ख्याल आया कि “जो मेहनत नहीं कर सकते, वे पैसे देकर भीड़ में पहचान छुपाकर परीक्षा दिला सकते हैं।” रवीश ने अपने जैसे युवकों का एक ग्रुप बनाया।
इस गैंग का सबसे चौंकाने वाला किरदार है डॉ. अमित गुप्ता। बलिया के बांसडीह CHC में तैनात यह MBBS डॉक्टर इस नेटवर्क का ‘बॉस’ था। पुलिस को शक है कि यह नेटवर्क दिल्ली और पटना तक फैला हुआ है और इसमें कई मेडिकल और इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले लोग शामिल हैं। STF अब मोबाइल और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच करा रही है।
ऐसे काम करता था सॉल्वर गैंग
- डॉक्टर अमित ही उम्मीदवारों से संपर्क साधता, फीस तय करता और फर्जीवाड़े की प्लानिंग करता।
- उसकी सरकारी नौकरी की आड़ ने गैंग को विश्वसनीयता दी। बेरोजगार युवकों को यकीन होता कि कोई “डॉक्टर” है, तो सब सुरक्षित होगा।
- विकास ताती जमुई, बिहार का रहने वाला है। यही पूरे गिरोह का टेक्निकल दिमाग था।
- आधार कार्ड से फोटो बदलना। एडमिट कार्ड में हेरफेर करना और OMR शीट का बैकअप तैयार करना। ये सब विकास की जिम्मेदारी थी।
- विकास के पास से मिली OMR की कार्बन कॉपी और कूटरचित प्रवेश पत्र साबित करते हैं कि यह सिर्फ लखनऊ तक सीमित गैंग नहीं, बल्कि एक ऑर्गेनाइज्ड नेटवर्क है।
पुलिस की अब तक की बरामदगी
- 4 मोबाइल फोन, जिनमें लेन-देन और चैट्स का रिकॉर्ड।
- 2 फर्जी प्रवेश पत्र, 1 कूटरचित आधार कार्ड, OMR शीट की कार्बन कॉपी।