कानपुर में 3 साल की रेप पीड़ित बच्ची की मौत
यूपी के बांदा की 3 साल की रेप पीड़िता की कानपुर में मंगलवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। मासूम 7 दिन से मेडिकल कॉलेज के ICU में भर्ती थी। मासूम के सिर, चेहरा, पेट और हाथ समेत पूरे शरीर पर 24 से ज्यादा चोट के निशान थे।
प्राइवेट पार्ट पर भी 6 चोट के निशान मिले। पहले कोमा में थी, फिर डीप कोमा में चली गई। पांच विभागों के विशेषज्ञों की टीम उसे बचाने में लगी रही। बुधवार को कार्डियक अरेस्ट के बाद उसकी सांसें थम गई।
उसे 3 जून की रात में कानपुर लाया गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची के यूरिन में इन्फेक्शन फैल गया था।
टॉफी के बहाने बुलाया और दरिंदगी की
चिल्ला थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली मासूम बच्ची को 3 जून की शाम 4 बजे सुनील निषाद टॉफी का लालच देकर अपने घर ले गया था। वहां शराब पीने के बाद उसने बच्ची से हैवानियत की।
इसके बाद मरणासन्न हालत में उसे मछलियों के लिए रखे जाने वाले आइस बॉक्स में ठूंस दिया। साइकिल के करियर पर लादकर 6 किलोमीटर दूर पदार्थपुर के जंगल में फेंक आया।
वहीं, घटना के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने चिल्ला में बांदा कानपुर मार्ग जाम कर हंगामा किया। सूचना मिलते ही अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज समेत पुलिस फोर्स और फोरेंसिक यूनिट पहुंची थी। रात तकरीबन 2 बजे परिजनों को समझा बुझाकर और न्याय का आश्वासन देकर जाम खत्म कराया था।
खून से सने कपड़ों ने खोला राज बच्ची के घर वाले मासूम को तलाश रहे थे। तभी शाम करीब 6 बजे जब सुनील घर लौटा तो उसके कपड़ों पर खून लगा था। गांव वालों के पूछने पर बोला- “गिर गया था।” लेकिन, उसके शरीर पर कहीं चोट के निशान नहीं थे। संदेह हुआ तो ग्रामीणों ने पुलिस को जानकारी दी। रात 9 बजे बच्ची के घरवाले थाने पहुंचे। शक के आधार पर सुनील को पकड़ा गया।
पुलिस जब उसके घर पहुंची तो मछली रखने वाले आइस बॉक्स में खून और मल के निशान मिले। कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने अपना गुनाह कबूल कर बच्ची की लोकेशन बताई। पुलिस उसे लेकर जंगल पहुंची और झाड़ियों से मासूम को बरामद किया। रात 2:35 बजे बच्ची को जिला अस्पताल लाया गया।
हालत गंभीर देख 4:15 बजे मेडिकल कॉलेज और फिर 12 बजे कानपुर रेफर कर दिया गया था। वहीं, एसपी बांदा पलाश बंसल ने कहा, अब बच्ची की मौत के बाद हत्या की धारा जोड़ी जा रही है। आरोपी पर रासुका की कार्रवाई भी की जाएगी।
मस्तिष्क में आक्सीजन की कमी हो गई थी- मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय काला ने बताया- उसके गले पर दबाव के निशान थे। इससे उसके मस्तिष्क में आक्सीजन की कमी हो गई। पाखाना और पेशाब का रास्ता डैमेज होकर एक हो गया था। इससे बहुत अधिक खून बह गया था।