800 किमी की बाईक राईड, माईनस 21 डिग्री की सर्दी में 13 किमी की ट्रैकिंग
हिमाचल के मणिमहेश कैलाश ट्रैक पर तिरंगा लहराने वाले प्रथम पर्वतारोही बने कोटपूतली के भारत स्वामी, हिमाचल प्रदेश सरकार की विशेष अनुमति से की ट्रैकिंग
कोटपूतली (राजेश कुमार हाडिया)। शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षा, रोजगार व खेलों के साथ-साथ कोटपूतली-बहरोड़ जिले की युवा प्रतिभायें अब पर्वतारोहण के क्षेत्र में भी अपनी सफलता का परचम लहराने लगी है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कस्बा निवासी 30 वर्षिय युवा बाईकर व पर्वतारोही भारत स्वामी ने, जो कि दिसम्बर माह में हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के हडसर स्थित विश्व के दुर्गमतम मणिमहेश कैलाश ट्रैक पर तिरंगा लहराने वाले दुनिया के पहले पर्वतारोही बन गये है। उल्लेखनीय है कि भारत जहां बतौर बाईकर युवाओं को नशे से दूर रहने व सम्भलकर बाईक चलाने का संदेश देते है, वहीं इस बार उन्होंने ट्रैकिंग कर युवाओं में राष्ट्रीय एकता मजबुत हो एवं देश भक्ति की भावना का जागरण हो का उद्घोष किया है। भारत को ट्रैकिंग में 04 दिन व यात्रा में कुल 09 दिन का समय लगा।
20 घण्टे तक लगातार बाईकिंग, माईनस 21 डिग्री तापमान में ट्रैकिंग :- भारत ने अपना सफर विगत 07 दिसम्बर को कोटपूतली से शुरू किया। जहां से वे लगातार 800 किमी बाईक से सफर 20 घण्टे में तय कर हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले स्थित भरमौर पहुंचे। भरमौर में रात्रि विश्राम के बाद 08 दिसम्बर को वहां के चौरासी मंदिर, ब्रह्माणी माता मंदिर, विश्व प्रसिद्ध यमराज मंदिर से होते हुए 09 दिसम्बर की सुबह 04 बजे हडसर पहुंचे। जहां से मणिमहेश कैलाश ट्रैक की 13 किमी लम्बी ट्रैकिंग शुरू की। इस ट्रैकिंग को दिसम्बर माह की सर्दी में आज तक किसी भी पर्वतारोही ने तय नहीं किया। ट्रैकिंग के दौरान 03 से 10 फिट की बर्फ का सामना करना पड़ा। रात्रि में तापमान माईनस 21 डिग्री तक चला गया। भारत को ट्रैकिंग में चार दिन का समय लगा। इस दौरान उन्होंने एक गाईड व दो सामान ले जाने वाले कुलियों की भी मदद ली। रात्रि के दौरान कई जंगली जानवरों से भी सामना करना पड़ा। भरमौर स्थित विश्व के एकमात्र यमराज मंदिर का उल्लेख हिन्दू पुराणों में भी है। कहा जाता है कि मनुष्य की मृत्यु के बाद यमदुत उसकी आत्मा को यमराज मंदिर लेकर जाते है। जहां यमराज उसे स्वर्ग या नरक दिये जाने का फैसला करते है।
दुर्गम यात्राओं का मकसद :- युवा बाईकर व पर्वतारोही भारत विगत सितम्बर माह में सियाचीन ग्लेशियर क्षेत्र स्थित 19024 फिट ऊंची दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलाने योग्य सड़क उम्लिंग लॉ को भी फतेह कर चुके है। उनका कहना है कि आये दिन नौजवान व किशोरवय युवक तेज गति से बाईक चलाकर घायल होने के साथ-साथ अपनी जान गंवाते रहते है। ऐसे में वे अपनी यात्राओं से युवा पीढ़ी को तेज गति नहीं बल्कि सम्भल कर बाईक चलाने व नशे से दूर रहने का संदेश देते है। भारत ने कहा कि युवा पीढ़ी जीवन में सम्भलकर आगे बढ़े तो बड़ी से बड़ी ऊंचाई व सफलता को प्राप्त कर सकती है। इसके लिए नशे से दूर रहने व लक्ष्य बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है। कस्बे के नागाजी की गौर मौहल्ला बुचाहेड़ा निवासी रामनिवास स्वामी के पुत्र भारत पेशे से इंजीनियर है। जो जयपुर की एक निजी कम्पनी में जॉब करते है। अभी तक वे कैलाश मानसरोवर समेत हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, जम्मु कश्मीर के सैकड़ों गाँवों व ईलाकों को देख चुके है जो आने वाले दिनों में भूटान जाने की तैयारी कर रहे है। सोशियल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर ऐडवेंचरर भारत के नाम से पेज चलाने वाले भारत स्वामी पिछले 13 वर्षो से बाईक यात्रायें कर रहे है। उन्हें इसका शौक बचपन से ही रहा है। वे सम्भावनाओं से परे सोचने की इच्छा के साथ कार्य करते है।
विभिन्न खतरनाक सड़कों पर चला चुके वाहन :- भारत नियमानुसार अनुमति व पास लेकर भारत में स्थित दुनिया के खतरनाक व कठिनतम सड़कों पर वाहन चला चुके है। इनमें सबसे ऊंची सड़क 19024 फिट ऊंची उम्लिंग लॉ के अलावा दुनिया की कठिनतम सड़क 18380 फिट ऊंची खारदुंग लॉ, 18124 फिट ऊंची फोटि लॉ पास, 17688 फिट ऊंची चांग लॉ पास, 17480 फिट ऊंची टांग्लांग लॉ, 16616 फिट ऊंची लाचुंग लॉ, 16650 फिट ऊंची शिंकु लॉ पास व 15547 फिट ऊंची नकीला आदि सड़के शामिल है।