दिल्ली में जहरीली हवा के बीच स्वर्ग जैसा घर, AQI हमेशा 5 से 15 के बीच
दिल्ली: दिल्ली में इन दिनों हवा बेहद जहरीली हो गई है. यहां बिना प्रदूषण के सांस लेने लायक भी जगह नहीं बची है. एयर क्वालिटी इंडेक्स यहां कई इलाकों का 400 के ऊपर चल रहा है. यह एयर क्वालिटी इंडेक्स सेहत के लिए इतना खतरनाक है कि इसमें सांस लेना मतलब 20 से 25 सिगरेट हर वक्त पीने जैसा है. यही नहीं इस प्रदूषण में रहने वालों की उम्र भी लगातार घट रही है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में एक ऐसा घर है. जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स सिर्फ 10 से 15 के बीच चल रहा है.
हमेशा इस घर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 5 से 15 के बीच ही रहता है. यही नहीं यहां का तापमान भी जब दिल्ली में 45 डिग्री सेल्सियस होता है, तो यहां का सिर्फ 25 डिग्री सेल्सियस होता है. आप सोच रहे होंगे की यकीनन यह मजाक है, लेकिन ऐसा नहीं है. आपको बता दें कि इस घर को देखने के लिए जर्मनी और जापान तक की टीम आ चुकी है और इसे देखकर हैरान हो चुकी है.
असल में यह कमाल कर दिखाया है साउथ दिल्ली के रहने वाले पीटर सिंह और उनकी पत्नी नीनो कौर ने. जिन्होंने ब्लड कैंसर से लड़ाई लड़ने के लिए अपनी जीवन शैली बदली और आज ब्लड कैंसर को हुए 27 साल हो जाने के बाद भी ब्लड कैंसर नीनो कौर का बाल भी बांका नहीं कर सका.
उनका पूरा घर 500 गज में है और सैनिक फार्म्स दक्षिणी दिल्ली के इलाके में उनका यह घर है. इस 500 गज में उन्होंने अपने घर के आंगन से लेकर छत तक पर 15000 पौधे लगा रखे हैं. ये कुल 15000 पौधे लगातार ऑक्सीजन विकसित करते रहते हैं. इस वजह से यहां की हवा हर समय शुद्ध होती है.
उन्होंने घर में एक ही खिड़की बनाई है. उसी खिलड़ी से हवा आती जाती रहती है. इसीलिए यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स और तापमान हमेशा कम होता है. आज जब दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार है, तो उनके घर में 10 से 15 के बीच बना हुआ है, जिसका इन्होंने मीटर भी लगा रखा है.
ईंट, पत्थर और चूने का है ये मकान
पीटर सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने घर को सिर्फ ईटों से बनवाया है. लाल पत्थर की छत है और चूने से ही पूरी पुताई करवाई है. उन्होंने केमिकल वाले पेंट का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया है. इसका प्रमुख कारण यह है कि उनकी पत्नी नीनो कौन को 1998 में ब्लड कैंसर हो गया था. तब उन्होंने देहरादून में एक वैद्य से सलाह ली थी.
उस वैद्य ने इनको सात्विक खाना खाने की सलाह दी थी. जब इन्होंने पूछा सात्विक खाना क्या है, तो वैद्य ने बताया कि जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक हो. यहीं से अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए पीटर सिंह दिल्ली लौटे और दिल्ली स्थित अपने घर को एक्वापोनिक्स तकनीक से पूरी तरह से इको फ्रेंडली बना दिया, जिसका फायदा यह हुआ कि उनकी पत्नी की जान बच गई.
पीटर सिंह ने बताया कि बाजार की सब्जियों में केमिकल होता है. इसलिए वह अपने घर पर ही करेला, लौकी, बैंगन, शिमला मिर्च समेत टमाटर, मेथी, गोभी और सभी ऑर्गेनिक सब्जियों को उगाकर खाते हैं. इसे बेचते भी हैं, जिससे वह महीने में 30000 रुपए कमाते हैं. जहां सालाना 360000 रुपये सालाना कमा लेते हैं. वहीं, टोटल वह कुल सात लाख की कमाई हर साल कर लेते हैं. जबकि पूरे घर को एक्वापोनिक्स तकनीक से बनाने के लिए उनका 6 लाख रुपए का खर्चा हुआ था.
उन्होंने बताया कि बिजली का बिल भी उनके घर में नहीं आता है. क्योंकि उन्होंने सोलर पैनल लगा रखा है. घर में ही मछली पालन करते हैं. लगभग 50 किलो मछली उनके यहां से निकलती हैं. उन्होंने बताया कि उनके घर में एवरेज ही एयर क्वालिटी इंडेक्स 14 रहता है. घर को उन्होंने पूरी तरह से ग्रीन हाउस बना रखा है. इस इको फ्रेंडली घर में पानी की बचत भी पूरी होती है. यह घर विदेश तक मिसाल बन गया है. लोग जापान से लेकर ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी तक से आकर देखते हैं. पीटर सिंह ने बताया कि एक्वापोनिक्स एक ऐसी तकनीक है, जिसमें मछली पालन और बिना मिट्टी के पौधे उगाना एक साथ किया जाता है. आज उनका घर एक हरे-भरे बगीचे के रूपए में बदल चुका है. जहां 15 हजार से भी ज्यादा पौधे लगे हैं. खास बात यह है कि इतने सारे पौधे बिना मिट्टी और बिना किसी रासायनिक खाद के उगाए गए हैं. मछली के जरिए जो खाद निकलता है, उसी को वह सब्जियों में डालते हैं. जिस वजह से सब्जियां ऑर्गेनिक निकलती हैं.

