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Religion

आखिर भगवान श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोर का पंख क्यों लगाते थे?

आपने महाभारत तो जरूर देखी होगी. आपने शायद महाभारत को विस्तार से पढ़ा भी हो. अगर महाभारत के सबसे प्रमुख पात्र की बात करें, तो सबसे पहला नाम भगवान श्रीकृष्ण का आता है, जिन्होंने 5 पांडवों को 100 कौरवों के सामने जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा, हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोग भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करते हैं. अब सवाल यह है कि चाहे महाभारत हो या फिर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति, आपने देखा होगा कि उनके सिर या मुकुट पर मोर का पंख लगा होता है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर भगवान श्री कृष्ण अपने सिर (मुकुट) पर मोर का पंख क्यों लगाते हैं? अगर आप इस सवाल का जवाब नहीं जानते, तो कोई बात नहीं, आज हम आपको इसके पीछे के रहस्य के बारे में विस्तार से बताएंगे.

रामायण काल से जुड़ा मोर पंख का किस्सा

दरअसल, इस बात का रहस्य महाभारत काल के बजाय रामायण काल में छिपा है. आप सभी जानते होंगे कि प्रभु श्री राम को 14 वर्षों का वनवास मिला था, जिसमें वह पत्नी और छोटा भाई लक्ष्मण के साथ 14 सालों तक वन में रह थे. वनवास के दौरान एक बार माता सीता को काफी तेज प्यास लग गई, जिसके बार उन्होंने श्री राम से पानी लाने को कहा. श्री राम पानी की खोज में काफी इधर-उधर भटके, लेकिन उन्हें जंगल में कहीं पानी नहीं मिला. इसके बाद उन्हें एक मोर दिखा, जिसने श्री राम से कहा, प्रभु मैं आपको पानी के पास ले जाऊंगा और इस दौरान में एक-एक पंख पीछे छोड़ता हुआ चलूंगा, जिसके पीछे-पीछे आप आइयेगा.

वह मोर एक-एक करके अपने पंख छोड़ता हुआ चलता रहा और प्रभु श्री राम उसके पीछे-पीछे चलते रहे. एक समय के बाद मोर एक सरोवर के पास पहुंचा, जहां पर्याप्त पानी था. लेकिन एक-एक पंख छोड़ने की वजह से उस मोर की मृत्यु हो गई. इस घटना से श्री राम काफी आहत हुए और उन्होंने उसी समय कहा कि जब मैं पृथ्वी पर अगले अवतार में जन्म लूंगा, तो अपने सिर मोर पंख को धारण करूंगा. इसी कारण से भगवान श्री राम, जो भगवान विष्णु के अवतार थे, उन्होंने जब श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया, तो उन्होंने अपने इस वचन को निभाया और जीवनभर अपने सिर पर मोर पंख लगाया.

राधा से प्रेम की निशानी

कान्हा के पास मोरपंख होना राधा से उनके अटूट प्रेम की निशानी है.मान्यताओं के अनुसार एक बार क़ृष्ण की बांसुरी पर राधा नृत्य कर रहीं थी तभी उनके साथ महल में मोर भी नाचने लगे.इस दौरान एक मोर का पंख नीचे गिर गया. तब श्री कृष्ण ने इसे अपने माथे पर सजा लिया. मोरपंख को उन्होंने राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में माना.

कालसर्प योग

मोर और सांप की दुश्मनी है.यही वजह है कि कालसर्प योग में मोरपंख को साथ रखने की सलाह दी जाती है.मान्यता है कि श्रीकृष्ण पर भी कालसर्प योग था। कालसर्प दोष का प्रभाव करने के लिए भी भगवान कृष्ण मोरपंख को सदा साथ रखते थे.

शत्रु को दिया खास स्थान

श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे. मोर और नाग एक दूसरे के दुश्मन हैं. लेकिन कृष्णजी के माथे पर लगा मोरपंख यह संदेश देता है कि वह शत्रु को भी विशेष स्थान देते हें.


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