News

पशु तस्कर वाजिद. बल्लू खान अवैध पिस्टल एवं कारतूस बरामद

संस्कार गौतम/ अनूपपुर/ कोतमा । यह नाम कभी किसान-प्रधान क्षेत्र के रूप में लिया जाता था, आज वही क्षेत्र पशु तस्करी का पर्याय बन चुका है। खेतों में मेहनत करने वाले किसानों की आँखों के सामने उनके मवेशी गायब हो रहे हैं, और वे न्याय की आस में प्रशासनिक गलियारों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अफसोस — उनकी पुकार न प्रशासन सुन रहा, न राजनीति को परवाह है।
हर सप्ताह दर्जनों मवेशी इस क्षेत्र से गायब होते हैं, और अधिकांश मामलों में तस्करी की पुष्टि होती है। खुलेआम हो रहे इस अवैध व्यापार के बावजूद, प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता केवल संदेह ही नहीं, बल्‍कि संलिप्तता का संकेत देती है। जब हर गाँव जानता है कि बल्लू वाजिद जैसे अपराधी पशु तस्करी का नेटवर्क चला रहे हैं, तो क्या प्रशासन अनजान है? जवाब स्पष्ट है — यह एक संगठित मिलीभगत है।
कोतमा में स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि किसान अब मवेशी खरीदने की हैसियत भी खो चुके हैं। जिनके पास मवेशी हैं, वे डर में जी रहे हैं। एक ओर खेती संकट में है, दूसरी ओर मवेशी संकट और तीसरी ओर शासन-प्रशासन की चुप्पी — यह त्रासदी को जन्म दे रही है।
क्या प्रशासन का दायित्व केवल रिपोर्ट दर्ज कर फाइलें बंद करना है? क्या सत्ता का काम तस्करों की ढाल बनना है? यदि नहीं, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्यों बल्लू वाजिद जैसे लोगों की गिरफ्तारी के बजाय उन्हें खुलेआम घूमने दिया जा रहा है?
सरकार को तय करना होगा — वह अपराधियों के साथ खड़ी है या किसानों के। अब वक्त है निर्णायक कार्रवाई का। कोतमा में फैले पशु तस्करी के दलदल को अगर अभी नहीं रोका गया, तो यह न केवल क्षेत्र की छवि खराब करेगा, बल्कि पूरे संभाग को अराजकता की ओर धकेल देगा।
किसानों की पुकार अब चीख में बदल चुकी है — और यह चीख सत्ता के सिंहासन तक गूंजनी चाहिए। अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो यह केवल नाकामी नहीं, बल्कि अपराध में भागीदारी मानी जाएगी।

Umh News india

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *