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अनूपपुर : धड़ल्ले से बिक रही महुआ की कच्ची शराब

अनूपपुर, संस्कार गौतम/। जिले में महुआ से बनी अवैध कच्ची शराब का कारोबार इस कदर फैल गया है कि अब शहरी क्षेत्रों से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक हर गली-मोहल्ले में यह आसानी से उपलब्ध है। इसका सीधा असर सरकारी अनुमति प्राप्त वैध शराब दुकानों की बिक्री पर पड़ रहा है। वैध लायसेंसी शराब विक्रेताओं ने जिला प्रशासन और पुलिस-आबकारी विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।लायसेंसी समूह ने बताया कि अनूपपुर जिले की सभी 21 शराब दुकानों का एकल समूह के रूप में उन्हें ₹66.72 करोड़ में निष्पादन किया गया है। इन दुकानों का संचालन 1 अप्रैल 2025 से किया जा रहा है। लेकिन अवैध कच्ची शराब की बढ़ती उपलब्धता के चलते उनकी बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे राजस्व जमा करने में भी कठिनाई हो रही है।


75 प्रतिशत शराब अवैध रूप से बिक रही है
लाइसेंसधारी कारोबारी का दावा है कि वर्तमान में जिले में लगभग 75 प्रतिशत शराब अवैध रूप से बेची या बनाई जा रही है। इतना ही नहीं, शराब विक्रेताओं ने अवैध कारोबारियों की एक सूची भी प्रशासन को सौंपी है और बताया है कि यह संख्या वास्तविकता की तुलना में बेहद कम है। अगर प्रत्येक गांव में सख्ती से कार्रवाई की जाए, तो सैकड़ों मामलों में प्रकरण दर्ज किए जा सकते हैं।
प्रशासन पर लगाया उदासीनता का आरोप
लायसेंसी व्यवसायी ने यह भी आरोप लगाया कि आबकारी और पुलिस विभाग इस अवैध कारोबार को रोकने में पूर्णतः विफल रहे हैं। उनकी कई बार की शिकायतों और अनुरोधों के बावजूद न तो किसी प्रभावी कार्रवाई को अंजाम दिया गया और न ही वैध विक्रेताओं को कोई सहयोग प्रदान किया गया। उल्टे प्रशासन की ओर से लायसेंसी पर ही दबाव बनाया जा रहा है कि वह स्वयं जाकर अवैध कारोबार को रोके।
सरेंडर की चेतावनी
कारोबारी ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही अवैध महुआ मदिरा के निर्माण और बिक्री पर प्रभावी प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो उन्हें मजबूरीवश दुकानों की ड्यूटी राशि जमा करने में असमर्थता जताते हुए पूरे व्यवसाय को सरेंडर करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि यदि इस दौरान कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कब तक चुप्पी साधे रहता है या फिर अवैध शराब कारोबार के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही करता है।

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