चांदी के सिंहासन पर विराजे बांके बिहारी
शरद पूर्णिमा पर ब्रज में अलौकिक छठा बिखरी। यहां के मंदिरों में भगवान को श्वेत पोशाक धारण कराई गई। बांके बिहारी जी ने चंद्रमा की धवल चांदनी में चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। बंसी, मोर मुकुट, कटी कांचनी धारण किए भगवान बांके बिहारी जी के दर्शन कर भक्त आनंद में सराबोर हो गए। श्री कृष्ण जन्मस्थान पर भव्य महारास का आयोजन किया गया।
श्री कृष्ण जन्मस्थान की छठा अलग ही देखते बन रही थी। केशवदेव मंदिर परिसर को चंद्र लोक का स्वरूप दिया गया। यहां भगवान के दर्शन कर ऐसा लग रहा था जैसे वह चंद्र वाहन में विराजमान होकर दर्शन दे रहे हों। देश विदेश से आए श्रद्धालु भगवान के चंद्र वाहन में विराजमान स्वरूप के दर्शन कर जय जयकार करने लगे।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्री कृष्ण जन्मस्थान के लीला मंच पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। भजन गायिकाओं गुंजन तिवारी और गुनगुन तिवारी द्वारा गाए गए भजनों पर भक्त झूमने को मजबूर हो गए। इस अवसर पर जन्मस्थान मंदिर परिसर में बने गिर्राज जी मंदिर को धवल वस्त्रों से सजाकर आकर्षक स्वरूप प्रदान किया गया।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्री कृष्ण जन्मस्थान के लीला मंच पर महारास लीला का आयोजन किया गया। यहां वृंदावन से आए कलाकारों ने द्वापर कालीन महारास की लीला को अपनी प्रस्तुति के जरिए जीवंत कर दिया। यहां प्रिया प्रियतम की मनोहारी लीला महारास का मंचन देख श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गए।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर गोवर्धन परिक्रमा मार्ग स्थित तलहटी में गिर्राज जी को 56 भोग अर्पित किए गए। चांदनी महल में विराजमान भगवान गोवर्धन नाथ की छवि अलौकिक छठा बिखेर रही थी। बगीचे में विराजमान भगवान गोवर्धन को हजारों किलो सामग्री से बने 56 भोग अर्पित किए गए।