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Politics

BJP ने मिल्कीपुर से नए चेहरे चंद्रभानु पासवान को उतारा

अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए BJP ने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। BJP ने 39 साल के चंद्रभानु पासवान को टिकट दिया है। चंद्रभानु का मुकाबला सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद से होगा। यानी, अयोध्या में दोनों प्रत्याशी पासी समुदाय से हैं। सपा कैंडिडेट अजीत प्रसाद 15 जनवरी को नामांकन करेंगे।

चंद्रभानु पासवान रुदौली के परसोली गांव के रहने वाले हैं। उनका यह पहला विधानसभा चुनाव है। चंद्रभानु पासवान पेशे से कारोबारी है। रुदौली में इनकी कपड़े की दुकान है। इसके अलावा पेपर का कारोबार है। चंद्रभानु की पत्नी कंचन पासवान जिला पंचायत सदस्य हैं। पिता भी कई साल तक ग्राम प्रधान रहे हैं।

लोकसभा चुनाव- 2024 में अवधेश प्रसाद के सांसद बनने से मिल्कीपुर (सुरक्षित) सीट खाली हो गई थी। 5 फरवरी को यहां उपचुनाव के लिए वोटिंग है। 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। मिल्कीपुर में 17 जनवरी को नामांकन की अंतिम तिथि है।

मिल्कीपुर से टिकट की दौड़ में पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ समेत 5 लोगों का नाम चल रहा था। लेकिन, जातीय और मौजूदा समीकरण में चंद्रभानु फिट बैठे।

सबसे पहले तो मैं पार्टी के शीर्ष नेताओं और मिल्कीपुर की जनता का धन्यवाद करना चाहूंगा। उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया। मैं मिल्कीपुर से चुनाव जीत कर अपनी पार्टी की झोली में ये सीट डालने का काम करूंगा। मेरा चुनाव जनता लड़ रही है। मुझे अवधेश प्रसाद से कोई खतरा नहीं है। मेरा एजेंडा विकास का है और मैं पूरी तरह से निश्चिंत हूं। 5 तारीख को वोटिंग है। मुझे आशीर्वाद देने के लिए मिल्कीपुर की जनता तैयार है। अयोध्या भगवान राम की नगरी है। भाजपा ये सीट जरूर जीतेगी।

​​​​​​चंद्रभानु को क्यों टिकट मिला, 3 पॉइंट में समझिए भाजपा के सामने मिल्कीपुर उपचुनाव में सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद के सामने अनुसूचित जाति वर्ग के चेहरे को ही उतारने का चैलेंज था। यही वजह है, भाजपा ने पासी समाज से आने वाले चंद्रभानु को कैंडिडेट बनाया है। 3 पॉइंट में समझिए कि आखिर क्यों चंद्रभानु पर भरोसा किया गया…

1. बाबा गोरखनाथ से संगठन नाराज भाजपा में टिकट के दावेदारों में चंद्रभानु पासवान तीसरे स्थान पर थे। पहले नंबर पर पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ का नाम था। लेकिन, गोरखनाथ की चुनाव याचिका के कारण चुनाव स्थगित हुआ था। गोरखनाथ ने याचिका के बारे में सरकार और संगठन तक को नहीं बताया था। ऐन वक्त पर चुनाव स्थगित होने से सरकार और संगठन दोनों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई थी। लखनऊ से दिल्ली तक बड़े भाजपा नेता भी नाराज हो गए थे।

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