google-site-verification=aXcKQgjOnBT3iLDjEQqgeziCehQcSQVIW4RbI82NVFo
Dailynews

रामलीला में बूम बॉक्स! क्या तेज शोर से हो सकता है हार्ट अटैक?

एनसीआर में अगले 9 दिनों तक जगह-जगह रामलीलाओं का आयोजन होने जा रहा है. यहां रावण की हंसी से लेकर मेघनाद और कुम्भकर्ण की गर्जना, बड़े-बड़े बूम बॉक्स लाउड स्पीकरों के माध्यम से कई सौ मीटर तक सुनी जा सकेगी. रामलीला देखते समय भले ही ये आवाज आपको रोमांचक लगे, लेकिन रात के 12 बजे तक बजने वाले ये साउंड सिस्टम घर में सोते-बैठते आपके दिल का हेल्थ का बैंड बजा सकते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन लगातार कई दिनों तक होने वाला ये शोर आपको हार्ट अटैक तक दे सकता है. वहीं जो लोग पहले से ही हार्ट संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए ठीक रह पाना काफी मुश्किल हो सकता है.

रामलीलाओं में बजने वाले एक सामान्य बूमबॉक्स का शोर 90 से 100 डेसिबल तक हो सकता है, जो हार्ट हेल्थ के लिए काफी खतरनाक है.वहीं कुछ बूम बॉक्स या लाउड स्पीकर्स इससे भी ज्यादा शोर कर सकते हैं.

हार्ट के लिए शोर कितना खतरनाक?

शहरों में ध्वनि प्रदूषण हार्ट अटैक के रिस्क को बढ़ाता है. यह दिल के दौरे या बीमारी के बाद इलाज को भी प्रभावित कर सकता है. सबसे खास बात है कि हार्ट पर ध्वनि की तीव्रता से ज्यादा तेज ध्वनि में कितनी देर तक आप मौजूद हैं, यह ज्यादा असर डालता है. ध्वनि प्रदूषण और हार्ट डिजीज के कनेक्शन पर बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ है लेकिन ये दो स्टडीज बहुत महत्वपूर्ण हैं.

जर्मन एक्सपर्ट के द्वारा की गई डेसिबल-एमआई स्टडी के अनुसार, 50 साल या उससे कम उम्र के युवा मरीज जिन्हें मायोकार्डियल इन्फ़ार्कशन (हार्ट अटैक) हुआ था, सामान्य लोगों की तुलना में हाई लेवल के शोर के संपर्क में थे. स्टडी बताती है कि शहरों में होने वाला शोर उन युवाओं में भी हार्ट अटैक का खतरा पैदा कर सकता है, जिनमें पारंपरिक रूप से ऐसा होने की संभावना कम होती है. ये बहुत महत्वपूर्ण बात है कि जो लोग स्मोकिंग नहीं करते या जिन्हें डायबिटीज भी नहीं है, उन्हें शोर की वजह से दिल का दौरा पड़ने की संभावना ज्यादा है. इस स्टडी में हार्ट अटैक से पीड़ित 50 या उससे कम उम्र के 430 मरीज शामिल किए गए थे,

 फ्रांस में हुए एक अलग अध्ययन में पाया गया कि खासकर रात में होने वाला शोर ज्यादा खतरनाक है. स्टडी बताती है कि लगातार शोर के संपर्क में रहने से हार्ट अटैक के एक साल बाद रोग के बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है. इस स्टडी में अस्पताल में भर्ती 864 रोगियों का डेटा इकठ्ठा किया गया था. ये वे लोग थे जो एमआई के कम से कम 28 दिन बाद तक जीवित रहे. इन सभी के घर के पास जब आवाज और शोर के बारे में जानकारी दर्ज की गई तो देखा गया कि 24 घंटे से ज्यादा समय तक वहां 56 डेसिबल जबकि रात में यह 49 डेसिबल शोर था. इसके अलावा वायु प्रदूषण, सोशियो इकोनोमिक लेवल आदि फैक्टर्स भी थे.

लिहाजा ये आंकड़े बताते हैं कि ध्वनि प्रदूषण न केवल हार्ट की बीमारी होने पर इलाज को प्रभावित कर सकता है बल्कि हार्ट अटैक के लिए भी जिम्मदार है. बहुत ज्यादा शोर से हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिसका असर हार्ट पर देखने को मिलता है.

 बहुत तेज साउंड हेल्थ को डिस्टर्ब करता है. तेज साउंड से देखा जाता है कि लोगों की नींद प्रभावित होती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है, एंग्जाइटी और स्ट्रेस का स्तर बढ़ जाता है और फिर ये सभी चीजें मिलकर हार्ट की सेहत पर असर डालने लगती हैं. तेज साउंड से सीधे हार्ट अटैक होता है, ऐसा कोई कनेक्शन अभी किसी स्टडी में नहीं दिखा है लेकिन हां दिल की बीमारी को बढ़ाने वाले फैक्टर्स इससे ट्रिगर होते हैं और हार्ट के पेशेंट की रिकवरी भी इससे प्रभावित होती है.

जो लोग बहुत सेंसिटिव हैं, या जो तेज साउंड बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं, उन्हें ऐसी जगहों पर जाने से बचना चाहिए. इतना ही नहीं छोटे बच्चे, बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिलाएं और साउंड सेंसिटिव लोगों को बहुत ज्यादा शोर वाली जगहों से दूर रखें. अगर लगातार कई दिनों तक नींद डिस्टर्ब हो रही है तो इससे मानसिक तनाव के साथ अन्य हेल्थ इश्यूज बढ़ सकते हैं ऐसे में खुद का बचाव करें, पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें, अगर शोर से दूर कहीं रह सकते हैं तो इन दिनों उसका चुनाव करें.

Umh News india

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *