बुलंदशहर : 26,832 महिलाएं बनीं लखपति दीदी
बुलंदशहर में केंद्र और प्रदेश सरकार की ‘लखपति दीदी’ योजना ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। पिछले दो वर्षों में जिले की 26,832 महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय एक लाख रुपये या उससे अधिक हो गई है।
ग्रामीण आजीविका मिशन के उपायुक्त सूबेदार सिंह के अनुसार, ‘लखपति दीदी’ योजना का संचालन वर्ष 2024 से शुरू हुआ था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।
इन 26,832 महिलाओं के परिवारों की कुल शुद्ध वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक होने से उनके जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार आया है और परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं। जिले में लगभग 14 हजार स्वयं सहायता समूह संचालित हैं, जिनसे जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के लिए विभिन्न कार्य कर रही हैं। उन्हें काम शुरू करने के लिए बैंकों से ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
उपायुक्त सूबेदार सिंह ने योजना के बारे में विस्तार से बताया। यह योजना महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई लाभ प्रदान करती है। इसके तहत महिलाओं को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे आय-सृजन गतिविधियों में शामिल हो सकें। रोजगार स्थापित करने के लिए उन्हें 1 से 5 लाख रुपये तक का ब्याज-मुक्त ऋण भी दिया जाता है। साथ ही, महिलाओं द्वारा उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार तक पहुंच और मार्केटिंग में भी सहायता प्रदान की जाती है।
उपायुक्त सूबेदार सिंह ने ‘लखपति दीदी’ की परिभाषा स्पष्ट की। स्वयं सहायता समूह की ऐसी सदस्य को लखपति दीदी माना जाता है, जिनकी सालाना पारिवारिक आय एक लाख रुपये या उससे अधिक हो। इस आय की गणना कम से कम चार कृषि मौसमों या चार व्यापार चक्रों के आधार पर की जाती है। जिन महिलाओं की औसत मासिक आय 10 हजार रुपये या उससे अधिक बनी रहती है, उन्हें इस श्रेणी में शामिल किया जाता है।

