मैनाई जलाशय परियोजना में भूमि अधिग्रहण के नाम पर मुआवजे का खेल
सागर जिले की मैनाई जलाशय परियोजना में पूर्व मंत्री व वर्तमान में रहली से भाजपा विधायक गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने रहली तहसील के धोनाई गांव में पट्टे की जमीनें मामूली कीमत पर खरीदीं और छह महीने में ही उन पट्टों पर मुआवजा ले लिया। दस्तावेजों के जरिए दैनिक भास्कर की पड़ताल में यह पूरा खेल उजागर हुआ है। इसमें पट्टे पर दी गई सरकारी जमीनें एक ही व्यक्ति के नाम बिकीं और डैम की परिधि में आते ही सरकार से मोटा मुआवजा लिया गया। दस्तावेजों के अनुसार, अभिषेक भार्गव ने करीब 18 हेक्टेयर (45 एकड़) जमीन विभिन्न व्यक्तियों से खरीदी। ये सभी जमीनें मैनाई जलाशय परियोजना की परिधि में आ गई और इस आधार पर करीब 50 लाख से ज्यादा का मुआवजा मिलने का अनुमान है। इस मामले की शिकायत विश्वजीत रतौनिया ने मार्च 2025 में पीएमओ और सीएम से भी की है। रतौनिया ने कहा कि मंत्री पद पर रहते हुए गोपाल भार्गव के बेटे ने बेतहाशा पट्टे खरीदी और फिर उस पर ही मुआवजा ले लिया। धोनाई गांव के खसरा नंबर 449/7 की एक हेक्टेयर जमीन अभिषेक भार्गव ने 26 मई 2011 को दामोदर अहिरवार से खरीदी। रजिस्ट्री दस्तावेजों में दी गई कीमत सिर्फ 25 हजार रुपए दर्ज है। महज छह महीने के भीतर, 18 नवंबर 2011 को इसी जमीन पर मुआवजा तय हुआ-राशि थी 2 लाख 26 हजार 570 रु। ठीक इसी पैटर्न पर अन्य खसरों में भी सौदे हुए।
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दावे के 41 खसरों में से 20 पहले थे सरकारी
21 नवंबर 2011 को रहली के अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय से जो पत्र जारी हुआ, उसमें अभिषेक भार्गव की ओर से 41 खसरे ‘निजी भूमि’ के रूप में दिखाकर मुआवजे की मांग की। कुल दावे की राशि थी- 1 करोड़ 45 लाख 20 हजार रुपये। इनमें से 20 खसरे 1994 के रिकॉर्ड में ‘शासकीय भूमि’ के तौर पर दर्ज थे। इन खसरों में 246/1 से 5, 266/1 व 2, 267, 111, 114, 115, 125, 226/1, 269, 270, 272, 273, 298 जैसे नंबर शामिल हैं।
पट्टे की जमीन बेचने पर रोक, फिर भी मिली अनुमति ?
नियमों के मुताबिक केवल विशेष परिस्थितियों में, जैसे पट्टाधारी की आर्थिक तंगी या प्रशासनिक मंजूरी की स्थिति में ही इसे बेचने की अनुमति मिल सकती है। लेकिन यहां एक ही क्षेत्र में एक
ही व्यक्ति (अभिषेक भार्गव)
ने इतनी बड़ी संख्या में पट्टे की जमीनें खरीदीं। इनमें खसरा नंबर 274/2 से 6 तक, 274/8 और 274/12 से 14 तक की जमीनें भी शामिल हैं।
हाईकोर्ट से याचिका वापस
जून 2020 में इसी मामले को लेकर सागर के कमलेश साहू ने हाईकोर्ट जबलपुर में जनहित याचिका दायर की। सुनवाई में याचिकाकर्ता द्वारा 2018 में गोपाल भार्गव के खिलाफ चुनाव लड़ने और लंबित आपराधिक प्रकरण की जानकारी छुपाने की आपत्ति उठाई। इससे संदेह उत्पन्न हुआ कि क्या ये वाकई जनहित का विषय है या फिर पॉलिटिकल बदले की भावना से प्रेरित मामला। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।
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मेरे द्वारा जो भी जमीन खरीदी गई, वह सब सही थी। गलत काम करने का तो सवाल ही नहीं उठता है। – अभिषेक भार्गव, पूर्व मंत्री के बेट