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गाजियाबाद से ग्रेटर नोएडा वेस्ट होते हुए जेवर एयरपोर्ट तक मेट्रो और रैपिड रेल का निर्माण अगले चार महीनों में शुरू

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निवासियों के लिए खुशखबरी है. गाजियाबाद से ग्रेटर नोएडा वेस्ट होते हुए जेवर एयरपोर्ट तक मेट्रो और रैपिड रेल का निर्माण अगले चार महीनों में शुरू होने जा रहा है. यह 72.44 किलोमीटर लंबी महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल यातायात को सुगम बनाएगी, बल्कि इस क्षेत्र के विकास में नई जान फूंकने का काम भी करेगी. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने इस परियोजना के लिए पैसे की मंजूरी दे दी है.

यह परियोजना गाजियाबाद के आरआरटीएस कॉरिडोर से नोएडा एयरपोर्ट तक फैली होगी, जिसमें रैपिड रेल, मेट्रो और लाइट रेल ट्रांजिट (एलआरटी) सेवाएं एक ही ट्रैक पर चलाई जाएंगी. दिलचस्‍प है कि यह देश की पहली परियोजना होगी जहां तीन प्रकार की रेल सेवाएं एक साथ संचालित होंगी. इस 72.44 किलोमीटर लंबे मार्ग में से 71.5 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड होगा और 1.29 किलोमीटर भूमिगत होगा.परियोजना में कुल 22 स्टेशनों की योजना है, जिनमें 21 एलिवेटेड और एक भूमिगत होगा.

बता दें कि इस रूट पर लंबे समय से मेट्रो की मांग भी हो रही थी. ऐसे में अब मेट्रो के साथ-साथ रैपिड रेल और लाइट रेल के लिए लाइनें बिछने से इस क्षेत्र को तीन गुना फायदा होने जा रहा है. इससे न केवल इन शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी बल्कि नोएडा के साथ-साथ गाजियाबाद के लिए भी सफर आसान हो जाएगा.

यीडा के सीईओ, डॉ. अरुणवीर सिंह के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट केवल एक परिवहन सुविधा नहीं है, बल्कि यह ग्रेटर नोएडा वेस्ट के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. एक नया मेट्रो नेटवर्क बनेगा, जो गाजियाबाद से शुरू होकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट से होता हुआ सीधे जेवर एयरपोर्ट तक जाएगा. यह मेट्रो न सिर्फ यात्रियों के सफर को आसान बनाएगी, बल्कि इलाके के विकास में भी मदद करेगी.

ग्रेटर नोएडा में नोएडा सेक्टर 51 से नॉलेज पार्क-5 तक मेट्रो का कनेक्शन बनेगा और ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 4 में नोएडा मेट्रो का रैपिड रेल से संपर्क होगा. अरुण वीर सिंह ने बताया कि इस रेल प्रोजेक्ट के लिए एनसीआरटीसी फंडिंग करेगा. अगर यह संभव नहीं हो सका, तो राज्य के हुडको से ₹30,529 करोड़ का लोन लिया जाएगा.

यह परियोजना अगले 4-5 वर्षों में पूरी होने की उम्मीद है, जिसमें कुल 38 स्टेशनों की योजना है, लेकिन पहले चरण में 25 स्टेशनों पर काम शुरू होगा. अधिकारियों का कहना है कि अगले चार महीने में केंद्र से जरूरी मंजूरी मिल जाएगी.

दिल्‍ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक बढ़ाने की है योजना
यह प्रोजेक्ट अगले 4-5 वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद ग्रेटर नोएडा वेस्ट को मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी. इसके साथ ही, सराय काले खां-गाज़ियाबाद रैपिड रेल मार्ग को दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक बढ़ाने की भी योजना है. ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मेट्रो और रैपिड रेल की सुविधा शुरू होने से न केवल आवागमन में सुधार होगा, बल्कि इससे रियल एस्टेट में भी एक नई रौनक आ जाएगी.

शहरों में तेजी से होगा विकास
क्रेडाई एनसीआर के अध्‍यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ का कहना है कि ऐसी पूरी उम्‍मीद है कि मेट्रो और रैपिड रेल परियोजना आने से 72 किलोमीटर और उसके आसपास का ये पूरा इलाको प्रमुख आवासीय केंद्र के रूप में बदलने जा रहा है. इससे प्रॉपर्टी की मांग में तो वृद्धि होगी ही, स्थानीय निवासियों को नई सुविधाएं और बेहतर जीवनशैली मिलेगी.

वहीं ग्रुप 108 के मैनेजिंग डायरेक्‍टर संचित भूटानी और स्‍पेक्‍ट्रम मेट्रो के वाइस प्रेजीडेंट सेल्‍स व मार्केटिंग अजेंद्र सिंह का कहना है कि जहां भी मेट्रो आई वहां विकास को पंख लगे हैं. ग्रेटर नोएडा में भी यह बात सच होने जा रही है. इन इलाकों में जब परिवहन का आधार मजबूत होगा तो यहां के रियल एस्टेट क्षेत्र में भी संपत्ति निवेश बढ़ेगा. जबकि एसकेए ग्रुप के डायरेक्‍टर संजय शर्मा का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के आने से ग्रेटर नोएडा वेस्ट को एक नई पहचान मिलेगी। यह क्षेत्र न केवल निवासियों के लिए एक प्राथमिक विकल्प बनेगा, बल्कि व्यवसायों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान साबित होगा.

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