महाकवि भास की रचना, नाटक दूत घटोत्कच का प्रदर्शन
आखिरी शान्ति संदेश है_ कृष्ण, आयोजन था आस्था वेलफेयर सोसाइटी का ।संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित महाकवि भास की रचना, नाटक दूत घटोत्कच का प्रदर्शन द फैक्ट स्पेस मे सफलतापूर्वक किया गया। जिसकी परिकल्पना व निर्देशन रविरंजन कुमार ने की। जो स्वयं दूत घटोत्कच के रूप मे दिखे । यह नाटक महाभारत के युद्ध के 17वे व 18वे दिन के बीच की कहानी को दर्शाता है।इसमें धृतराष्ट्र गांधारी और दु:शाला के दुख दर्द की कहानी प्रस्तुत की गई है। अभिमन्यु वध में धृतराष्ट्र और गांधारी के अन्तर्वेदना प्रस्तुत किया गया है। कृष्ण का अंतिम संदेश लेकर भीम हिडिम्बा का पुत्र घटोत्कच दूत बनकर धृतराष्ट्र के पास आता है। फिर युद्ध शुरू होता है, दुर्योधन के अहांकर से, और घटोत्कच को ललकारा जाता है “किं तू राक्षसनी का पुत्र है, तू राक्षस ही है, तेरा व्यवहार राक्षस जैसा ही होगा ” घटोत्कच “राक्षस तो तुम लोग हो, अपने भाभी को झोटा पकड कर जंघा पे बैठाते हो, लगाया तुमने ही लाझागृह मे आग सोते हुए पाडंवो को जलाने के लिए । यदि युद्ध शुरू हुआ तो एक ही प्रहार मे पूरे कौरव दल का विनाश कर दूंगा। ये कथन था दूत घटोत्कच का । आखिरी बार कृष्ण की चेताबनी यदि युद्ध करो तो न्यायपूर्वक वर्ना अपनी सेना बुला लो ।क्षमा सबसे बडा शस्त्र है । धृतराष्ट्र के रूप में तरुण कृष्णा नाथ, गांधारी काजल सैकिया, बडा कृष्ण प्रणब महंत , छोटा कृष्णा रुही कुमारी, दुःशाला पूर्वी रंजन, महिला एक मिथलेश कुमारी, महिला दो किरण कुमारी, आदमी एक मनोज कुमार आदमी दो धर्मेद्र कुमार और दुर्योधन कृष्णदेव कुमार थे।
प्रकाश परिकल्पना चिंटू कुमार और मनोज कुमार ,गीत-संगीत _बबलू आनंद व रामपुकार पासवान, मंच संचालन गोपाल कुमार ने किया ।मौके पर मुख्य अतिथि राजकिशोर सिंह (पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा) ,प्रवीण कुमार गुंजन( एन एस डी वाराणसी के डायरेक्टर), अभिजीत कुमार मुन्ना, संजय कुमार रोजी,और देवी दा सभी को अंग वस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया।आज के परिदृश्य मे दर्शकों का भरपूर सहयोग मिला ।