सुप्रीम कोर्ट ने खुद लिया संज्ञान : आवारा कुत्तों की वजह से बुजुर्गों-बच्चों की हो रही मौत
Street Dog Terror News: आए दिन देश में आवारा कुत्तों के आतंक की खबरें आती रहती हैं. आवारा कुत्तों का सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग और बच्चे होते हैं. इनकी वजह से ना केवल लोगों की मौत हो रही है, बल्कि रेबीज जैसी बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है. हाल ही में कर्नाटक सरकार ने आवारा कुत्तों के आतंक को कम करने के लिए खाना स्कीम लेकर आई है. अब आवारा कुत्तों के मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लिया है.
दरअसल, राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों के हमलों से लोगों की नींद उड़ा गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में ‘शहर आवारा कुत्तों से परेशान, बच्चे चुका रहे कीमत‘, ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान खींचा. इस खबर में बताया गया कि शहरों और बाहरी इलाकों में हर दिन सैकड़ों लोग आवारा कुत्तों के काटने का शिकार हो रहे हैं. इन हमलों से रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी फैल रही है, जिसका सबसे ज्यादा शिकार मासूम बच्चे और बुजुर्ग हो रहे हैं. इस गंभीर मुद्दे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई 2025 को स्वतः संज्ञान (Suo Moto) लेते हुए इस मामले को उठाया है.
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने इस खबर को ‘बेहद परेशान करने वाला‘ बताया. जस्टिस पारदीवाला ने कहा, ‘यह खबर बहुत डरावनी है. हर दिन सैकड़ों लोग कुत्तों के काटने से पीड़ित हैं. रेबीज की वजह से छोटे बच्चे और बुजुर्ग अपनी जान गंवा रहे हैं.’ उन्होंने एक दुखद घटना का जिक्र किया, जिसमें दिल्ली के रोहिणी इलाके में 30 जून को एक 6 साल की बच्ची, छवि शर्मा, को एक रेबीज बीमारी से ग्रस्त कुत्ते ने काट लिया था. छवि की इलाज के बावजूद 26 जुलाई को उसकी मृत्यु हो गई. डॉक्टरों ने शुरू में उसकी बिगड़ती हालत को सामान्य बुखार समझ लिया, जिससे सही समय पर इलाज नहीं हो सका.
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया. 15 जुलाई 2025 को जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने भी आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की जगहों को लेकर चिंता जताई थी. कोर्ट का कहना है कि जानवरों के प्रति दया और लोगों की सुरक्षा में संतुलन जरूरी है. अब उम्मीद है कि इस मामले में जल्द सख्त कदम उठाए जाएंगे, ताकि मासूम बच्चों और बुजुर्गों की जान बच सके.