आजमगढ़ जेल में 52.85 लाख की गबन का पर्दाफाश, 2 जेलकर्मी समेत 4 आरोपी गिरफ्तार
आजमगढ़ जेल में 52.85 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने वाले 2 जेलकर्मियों समेत 4 आरोपियों को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के कब्जे से गबन के पैसों से खरीदी गई बुलेट मोटरसाइकिल, मोबाइल फोन, चेक की फोटो और जेल अधीक्षक के नाम की नकली मुहर बरामद की गई है।
मामले का खुलासा करते हुए एसपी सिटी मधुबन कुमार सिंह ने बताया-बंदी रामजीत यादव, जेल के वरिष्ठ सहायक (लेखा प्रभारी) मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय की भूमिका सामने आई है। रामजीत यादव को लेखा कार्यालय में वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद के लेखक के रूप में तैनात किया गया था, जहां से यह गबन की साजिश रची गई।
बंदियों ने जेलकर्मियों संग मिलकर किए फर्जी हस्ताक्षर कैदी रामजीत यादव उर्फ संजय और शिव शंकर यादव ने कार्यालय में काम करने के दौरान वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद तथा चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय की मदद से जेल अधीक्षक के सरकारी खाते की चेकबुक निकाल ली।
इसके बाद चेकबुक पर जेल अधीक्षक, कारागार आजमगढ़ के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर अवैध रूप से धनराशि ट्रांसफर की गई। यह रकम रामजीत यादव के खाते में भेजी गई थी। पुलिस जांच में सामने आया है कि चारों आरोपियों ने मिलकर 52.85 लाख रुपए की गबन की वारदात को अंजाम दिया।
इस मामले का खुलासा करते हुए जिले के एसपी सिटी मधुबन कुमार सिंह ने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम का मुख्य आरोपी रामजीत यादव ने गबन किए गए पैसों का इस्तेमाल 20 जनवरी 2025 को अपनी बहन के विवाह में किया। शादी में 25 लाख रुपए से अधिक खर्च किए गए। इसके अलावा आरोपी ने 3 लाख 75 हजार रुपए की नई बुलेट भी खरीदी।
पुलिस जांच में सामने आया कि जेल में रहने और जमानत पर रहने के दौरान आरोपी रामजीत यादव ने लगभग 10 लाख रुपए खर्च किए, जो उसने उधार लिए थे, और अब उसे चुका दिया। इसके बाद आरोपी के खाते में केवल 23,000 रुपए बचे थे, जिसे पुलिस ने होल्ड कर दिया है।
गबन के पैसों में से वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद को 7 लाख रुपए मिले, जिन्हें वह धीरे-धीरे अपने व्यक्तिगत और घरेलू खर्च में इस्तेमाल कर रहा था। वहीं, अभियुक्त शिव शंकर उर्फ लाल जी यादव ने भी गबन के पैसे से अपना ऐशो-आराम किया। चौकीदार अवधेश कुमार पांडे को गबन के हिस्से में से 1.5 लाख रुपए मिले, जिसे उन्होंने अपने व्यक्तिगत और घरेलू खर्च में लगा दिया।
एसपी सिटी मधुबन कुमार सिंह ने बताया-पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी रामजीत यादव ने स्वीकार किया कि उनके साथी शिव शंकर यादव और गोरख यादव, साथ ही मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय मिलकर जिला कारागार आजमगढ़ से ब्लैंक चेक निकालते थे। इसके बाद वरिष्ठ अधीक्षक मंडल जिला कारागार की मोहर लगाकर जेल अधीक्षक का फर्जी हस्ताक्षर बनाकर चेक को रामजीत यादव अपने खाते में जमा करता था और पैसा निकाल लिया जाता था। इस रकम को आरोपी आपस में बांट लेते थे।
आजमगढ़ में जेल से जमानत पर बाहर आए एक कैदी द्वारा सरकारी खाते से पैसे की धोखाधड़ी के मामले की जांच करने डीआईजी जेल शैलेंद्र कुमार मैत्रेय आजमगढ़ पहुंचे। डीआईजी जेल देर रात्रि तक मामले की जांच करते रहे और लगभग 8 घंटे तक एक-एक पहलू की जांच करते रहे। आरोपी ने जेल अधीक्षक का बैंक अकाउंट ही खाली कर दिया।
लगभग 8 घंटे की डीआईजी की जांच के बाद यह बात सामने आई कीआरोपी ने सरकारी खजाने से 52 लाख 85 हजार की ठगी की घटना को अंजाम दिया है। इस बात की पुष्टि डीआईजी जेल शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में की। डीआईजी जेल ने कहा कि आरोपी ने जेल से केनरा बैंक के चेक को गायब कर दिया था।
ऐसे में इस मामले में चार आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। आरोपी बैंक टू बैंक पैसे का ट्रांजैक्शन करता रहा। इस पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को दी जाएगी जिसके आधार पर शासन इस पूरे मामले में जो भी लोग दोषी होंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई करेगा। यही नहीं आरोपी रामजीत यादव दीपावली के त्यौहार के बाद गुजरात जाने की तैयारी भी कर रहा था। इस बात की चर्चा चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय से लगातार करता रहता था। हालांकि समय रहते ही जेल प्रशासन ने बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर आरोपी को पुलिस से गिरफ्तार करवा दिया।
52 लाख 85 हजार की धोखाधड़ी डीआईजी जेल की जांच में यह बात सामने आई की आरोपी ने पहले उनकी चेकबुक चुराई। फिर फर्जी साइन कर कई बार में उससे 52 लाख 85 हजार रूपये निकाल इए। मामला जब सामने आया तो सभी का सिर चकरा गया। आरोपी अपनी पत्नी की हत्या के मामले में जेल में था। 24 मई 2024 को उसे जमानत मिली। रिहा होने से पहले उसने चेकबुक चुराई। इसके बाद आरोपी 18 महीनों तक पैसे निकालता रहा। घटना का खुलासा 22 सितंबर को उस वक्त उजागर हुआ, जब कैदी ने खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले।
जैसे ही जेल अधीक्षक के फोन पर पैसे निकालने का मैसेज आया तो उन्होंने अकाउंटेंट से पूछा। लेकिन, उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। बैंक स्टेटमेंट निकलवाने पर पूरा धोखाधड़ी का मामला सामने आया। खुलासे के बाद जेल अधीक्षक ने कोतवाली में चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। घटना की जानकारी मिलते ही लखनऊ के उच्च अधिकारियों ने आजमगढ़ के जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी।