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Crime News

आगरा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पर रेप की FIR

आगरा के डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर PHD स्कॉलर ने शारीरिक शोषण के आरोप लगाए हैं। छात्रा का आरोप है कि प्रोफेसर ने दो साल तक शादी का झांसा देकर उसका रेप किया। वह उसे मध्यप्रदेश और मथुरा के होटलों में ले जाकर शोषण करते थे।

स्कालर ने बताया कि प्रोफेसर कहते थे कि बीवी अच्छी नहीं, तुमसे शादी करूंगा। हर रविवार को भी दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक ऑफिस बुलाते थे। शनिवार, 25 अक्टूबर को भी उन्होंने बुलाकर मारपीट की। धमकी दी कि अगर बात बाहर गई तो पीएचडी नहीं करने देंगे। मोबाइल तोड़ने की कोशिश भी की ताकि सबूत मिटाए जा सकें।

अगले दिन यानी रविवार को छात्रा ने पुलिस को चैट और कॉल रिकॉर्डिंग सौंपी और न्यू आगरा थाने में बेसिक साइंस विभाग के केमिस्ट्री प्रोफेसर, प्रो. गौतम के खिलाफ FIR दर्ज कराई। सोमवार को पुलिस ने छात्रा का मेडिकल कराया और बयान दर्ज किए।

छात्रा आगरा की ही रहने वाली है। मामले के संज्ञान में आने के बाद राजभवन ने यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट से रिपोर्ट तलब की है। यूनिवर्सिटी ने भी इस संबंध में आंतरिक जांच कमेटी (ICC) बनाई है।

अब छात्रा की आपबीती पढ़िए-

छात्रा ने FIR में बताया, ‘प्रोफेसर गौतम जैसवार उसके पीएचडी के को-सुपरवाइजर हैं। उन्होंने शादी का झांसा देकर दो साल तक शारीरिक शोषण किया। शादीशुदा होने के बावजूद झूठे वादे किए। दबाव बनाकर कई बार रेप किया। कहते थे कि वे अपनी शादी में खुश नहीं हैं, पत्नी अच्छी नहीं है। मुझसे शादी करेंगे।

मैं उनकी बातों में आ गई। वे मुझे मध्यप्रदेश के खजुराहो के एक होटल में तीन दिन तक और हाल ही में मथुरा के एक होटल में भी ले गए, जहां उन्होंने मेरा शोषण किया। दो साल से हर रविवार को खंदारी कैंपस के ऑफिस में बुलाते थे। दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक रोककर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करते थे।

छात्रा ने बताया, ‘शनिवार, 25 अक्टूबर को भी प्रोफेसर ने मुझे ऑफिस बुलाया। जब मैंने पूछा कि क्या आप मुझे धोखा दे रहे हैं, तो वे भड़क गए। मेरे साथ मारपीट की और मोबाइल तोड़ने की कोशिश की।’

छात्रा ने मेडिकल जांच में लापरवाही के भी आरोप लगाए। कहा-लेडी लॉयल अस्पताल में मेडिकल हुआ, लेकिन डॉक्टर ने जांच ठीक से नहीं की। दबाव डालकर मुझसे इंटरनल जांच न कराने की सहमति पर साइन करा लिए।’ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी ने कहा, ‘पुलिस से जानकारी मिलने के बाद मामले की निष्पक्ष जांच के लिए ICC का गठन किया गया है, जिसमें महिला वकील और विशेषज्ञ शामिल हैं। जांच में यदि प्रोफेसर दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ टर्मिनेशन यानी नौकरी से निकालने तक की कार्रवाई की जाएगी।’

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