सरकार ने फिक्स की एसी में टैम्परेचर की लिमिट? एसी तापमान सीमा 20-28 डिग्री होगी
दिल्ली. केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली में घोषणा की है कि भारत जल्द ही एयर कंडीशनिंग उपकरणों के लिए नया राष्ट्रीय मानक लागू करेगा. प्रस्तावित नियम के तहत किसी भी एयर कंडीशनर की सेटिंग 20 डिग्री सेल्सियस से कम या 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं रखी जा सकेगी—भले ही वह घरेलू एसी हो, कार्यालय का सिस्टम हो या मॉल-होटल का सेंट्रल चिलर. खट्टर ने इसे “अनूठा प्रयोग” बताते हुए कहा कि यह कदम बिजली की भारी मांग, बढ़ते बिजली बिल और कार्बन उत्सर्जन तीनों को एक साथ संबोधित करेगा. उनका कहना है कि इटली पहले ही अपने सभी सार्वजनिक भवनों में न्यूनतम 23 °C की सीमा लगा चुका है और जापान 27 °C पर टिके रहने की सख्त नीति अपनाता है. भारत का 20-28 °C फ्रेमवर्क इन्हीं अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से प्रेरणा लेता है. ध्यान रहे कि अभी इसका सिर्फ ट्रायल किया जाएगा. यह व्यवस्था फिलहाल लागू नहीं हो रही है.
ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, एसी का तापमान हर 1 डिग्री बढ़ाने से लगभग 6 प्रतिशत बिजली की बचत होती है. आज भारतीय घरों और दफ्तरों का बड़ा वर्ग 18 °C या 19 °C जैसी बेहद ठंडी सेटिंग चला रहा है, जिसके कारण पीक-समर में पावर ग्रिड पर अचानक 10-12 गिगावॉट तक का अतिरिक्त भार आ जाता है. ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफ़िशिएंसी (BEE) ने 2019 में दफ्तरों के लिए 24 °C का डिफॉल्ट सुझाव दिया था, पर अनुपालन स्वैच्छिक था और असर सीमित रहा. नया अनिवार्य मानक न सिर्फ बिजली खपत घटाएगा बल्कि एयर कंडीशनर की लाइफ और कंप्रेसर एफिशिएंसी भी बढ़ाएगा, क्योंकि मशीनें बेहद कम तापमान पर ज़ोर से चलने के बजाय मध्यम लोड पर टिके-टिके चलेंगी.
सरकारी आकलन बताता है कि यदि देश के 6 करोड़ शहरी घर और लगभग 12 लाख वाणिज्यिक प्रतिष्ठान 22-24 °C के बीच एसी चलाएं, तो सालाना 12-15 बिलियन यूनिट बिजली की बचत होगी. इतना बिजली बचाने का अर्थ है कि देश को चार-पांच नए कोयला-आधारित प्लांट कम लगाने पड़ेंगे और सालाना 1.2 करोड़ टन CO₂ उत्सर्जन घटेगा—जो 25 लाख पेट्रोल कारों को सड़कों से हटाने के बराबर है. यह कदम भारत के 2070 नेट-ज़ीरो लक्ष्य और पेरिस समझौते की शर्तों को पूरा करने में मदद करेगा. नीति निर्धारकों का कहना है कि मानक लागू होने के बाद अगले तीन वर्ष में उपभोक्ताओं के कुल बिजली बिल में 18-20 हज़ार करोड़ रुपये की बचत संभव है. इससे उपभोक्ता जेब-खर्च घटेगा और डिस्कॉम्स को पीक-लोड प्रबंधन आसान होगा.
नए नियम का सीधा असर एयर कंडीशनर निर्माता कंपनियों पर पड़ेगा. उन्हें सभी आगामी मॉडल्स में “हार्ड-कोडेड” तापमान सीमा या स्मार्ट कंट्रोल सॉफ्टवेयर लगाना होगा, ताकि रिमोट से 18 °C चुनने पर भी कंप्रेसर 20 °C से नीचे न पहुंचे. उद्योग संगठन CEAMA के अनुसार, आर-एंड-डी लागत बढ़ेगी लेकिन ऊर्जा-कुशल वेरिएंट की मांग तेज़ भी होगी, जिससे लॉन्ग-रन में बिक्री बढ़ सकती है. मौजूदा यूनिट्स के लिए सरकार दो रास्ते सुझा रही है—या तो निर्माता ओवर-द-एयर फर्मवेयर अपडेट दें अथवा बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर के ज़रिए अधिक ठंडे सेटपॉइंट पर अतिरिक्त शुल्क लगाएं. घरेलू उपभोक्ता शुरुआत में 20-22 °C पर आदत डालने में संकोच कर सकते हैं, विशेषकर उत्तर भारत के लू-ग्रस्त शहरों में; लेकिन बिजली बिल घटने का सीधा लाभ उन्हें जल्द ही इस बदलाव के पक्ष में कर देगा.