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मुजफ्फरनगर पुलिस ने कैसे खोला, कांवड़ यात्रा पर लोन वुल्‍फ हमला करना था मकसद? 

मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में पुलिस ने कांवड़ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक तनाव और आतंकी हमले की साजिश को नाकाम करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों ने व्हाट्सएप ग्रुपों के जरिए एक फर्जी वीडियो और भ्रामक ऑडियो वायरल किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मुरादाबाद के मंसूरपुर और आसपास के गांवों में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा मुसलमानों की हत्या की जा रही है. जांच में पता चला कि यह वीडियो अप्रैल 2024 का है और पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले का है, जिसे गलत तरीके से मुजफ्फरनगर का बताकर वायरल किया जा रहा था.

मुजफ्फरनगर पुलिस को ककरौली थाना क्षेत्र से सूचना मिली थी कि ककरौली युवा एकता व्हाट्सएप ग्रुप पर एक खतरनाक और सनसनीखेज वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में महिलाओं और बच्चों के शव खून में लथपथ दिखाए गए थे, और साथ में एक ऑडियो में दावा किया गया था कि यह घटना मुरादाबाद के मंसूरपुर थारक नगला की है, जहां बजरंग दल के लोग मुस्लिम घरों में घुसकर हत्याएं कर रहे हैं. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस वीडियो की जांच की और

पाया कि यह वीडियो पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ का है, जहां एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और सात बच्चों की हत्या कर दी थी. पुलिस ने तीन आरोपियों—नदीम (25), मनशेर (45), और रहीस (35)—को ककरौली से गिरफ्तार किया. ये लोग सब्जी विक्रेता, कबाड़ी, और बर्तन विक्रेता के रूप में काम करते हैं. उनके कब्जे से तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए, जिनका उपयोग वीडियो वायरल करने में किया गया था.
पुलिस उपमहानिरीक्षक (सहारनपुर) अभिषेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिसका मकसद कांवड़ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक तनाव भड़काना और आतंकी हमले को अंजाम देना था. उन्होंने कहा, “आरोपियों ने स्वीकार किया कि उनका इरादा सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना, लोगों को उग्रवाद और आतंकवाद की ओर आकर्षित करना, और लोन वुल्फ हमले को प्रेरित करना था.” पुलिस को शक है कि इस साजिश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ हो सकता है, और इसकी जांच की जा रही है.

वीडियो को कई व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल किया गया, जिनमें खिदमत अब्बासी ग्रुप (450 सदस्य), प्राउड इंडियन मुस्लिम (450 सदस्य), मुस्लिम समाज जिंदाबाद (150 सदस्य), ऑल इंडिया एम्प्लॉयड ग्रुप (850 सदस्य), और ककरौली युवा एकता (150 सदस्य) शामिल हैं. इन ग्रुपों के जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भ्रामक सामग्री फैलाई गई.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने अन्य राज्यों में भी छापेमारी शुरू की है ताकि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों का पता लगाया जा सके. डीआईजी अभिषेक सिंह ने जनता से अपील की है कि धार्मिक आयोजनों के दौरान किसी भी असत्यापित वीडियो या संदेश को शेयर न करें, ताकि अनावश्यक दहशत और तनाव से बचा जा सके. मुजफ्फरनगर प्रशासन ने “बिग फेक न्यूज अलर्ट” अभियान शुरू किया है, जिसमें लोगों को फर्जी खबरों से सावधान रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है.

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