आम के पेड़ पर 6 एमएल इस दवा का कर दें छिड़काव, नहीं लगेगा कीट
रायबरेली. आम की बागवानी करने वाले किसानों के लिए अप्रैल का महीना बेहद ही उपयुक्त होता है. इन दिनों आम के पेड़ों में बौर से फल बनने की प्रक्रिया हो रही होती है. आम में फल आने के बाद कई बार फल गिरने लगता है या फिर उसका आकार छोटा होने के साथ ही कई तरह के कीट लगने का खतरा बना रहता है. इस दौरान आम के पौधे पर लगने वाले कीट में प्रमुख रूप से मैंगो हॉपर कीट, जिसे ग्रामीण अंचल क्षेत्र में मधुआ कीट के नाम से भी जाना जाता है, शामिल है.
इसका प्रकोप होने पर आम के फल गिरने की संभावना बढ़ जाती है. इसीलिए जरूरी है कि किसान पौधे पर फल आने के दौरान कुछ जरूरी उपाय करें, तो आम के बाग से अच्छा उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता की उपज मिलने के साथ कीट का खतरा भी कम हो सकता है. तो आइए, उद्यान विशेषज्ञ से जानते हैं कि आखिर क्या है मैंगो हॉपर कीट? इससे बचाव के क्या हैं उपाय?
ये है आम का प्रमुख रोग
उद्यानिकी क्षेत्र में 15 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि अप्रैल माह में आम के पौधों पर फलन होने के दौरान कई तरह के कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसमें प्रमुख रूप से मैंगो हॉपर कीट, जिसे आम बोलचाल की भाषा में मधुआ कीट के नाम से जाना जाता है, शामिल है.
नरेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि यह कीट आम के पौधों में मंजर का रस चूसकर इस पर मल छोड़ता है, जिससे वह चिपचिपा होने के साथ ही फंगस में परिवर्तित हो जाता है, जिसे ‘सूटी मोल्ड’ कहते हैं. इसी वजह से आम के पत्तों पर काली परत चढ़ जाती है, जो इस बीमारी के लक्षण हैं. इसके बाद आम के मंजर भी झड़ने लगते हैं.
ऐसे करें बचाव
मैंगो हॉपर, यानी कि मधुआ कीट से बचाव के लिए आम के पौधों में फल आने के दौरान दवा का छिड़काव करना जरूरी हो जाता है. मधुआ कीट से बचाव के लिए आम के पौधे पर इमिडाक्लोप्रिड दवा का छिड़काव करें. नरेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक, दवा का छिड़काव करने के लिए 15 लीटर पानी में 6 मि.ली. दवा मिलाकर घोल तैयार कर लें.
इसी तैयार घोल को आम के पौधों पर छिड़काव कर दें. यह प्रक्रिया 15-15 दिन के अंतराल पर दो बार करने से इस कीट का प्रकोप खत्म हो जाता है. साथ ही आम की बागवानी करने वाले किसान यह ध्यान रखें कि अगर आम के पौधे पर इस कीट का प्रकोप नहीं है, तब भूलकर भी इस दवा का छिड़काव न करें.