यूपी में बिना नक्शा पास कराए बना सकेंगे घर, 15 दिन में NOC नहीं मिली तो ऑटोमैटिक अप्रूवल
, क्या है नया बिल्डिंग बायलॉज?
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नए भवनों के कंस्ट्रक्शन को लेकर पहले से चले आ रहे नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसमें कई तरह की छूट दी गई हैं। ये अब तक रेजिडेंशियल या कामर्शियल कंस्ट्रक्शन में अड़चन बनती थीं।
इनके लिए कई तरह की प्रशासनिक इजाजत लेनी पड़ती थी। इसमें सबसे बड़ा बदलाव हुआ है, अगर एक हजार वर्ग फीट तक प्लॉट पर घर बनाना हो तो इसके लिए नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी।
यह किसी भी राज्य या शहर में वहां के लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से कंस्ट्रक्शन को लेकर बनाए गए नियम हैं। इसमें नगर निगम या किसी जगह की डेवलपमेंट अथॉरिटी अपने नियंत्रण वाले एरिया में किसी भी तरह के कंस्ट्रक्शन को लेकर नियम बनाती है।
इन सभी नियमों को ही बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज कहते हैं। राज्यों-स्थानीय प्रशासन के ये नियम मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट अफेयर्स के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को लेकर बनाई गई नीतियों के तहत आते हैं। ऐसे में, उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन बायलॉज राज्य में किसी भी तरह की कंस्ट्रक्शन से जुड़े नियमों को बताता है।
जिस उत्तर प्रदेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बायलॉज 2025 के ड्राफ्ट को सरकार ने पब्लिक के बीच सुझावों के लिए रखा है, वह 2008 में बनाए गए बायलॉज की जगह लेगा।
यानी 16 साल बाद राज्य में कंस्ट्रक्शन को लेकर नियमों में बदलाव होने जा रहा। अगर लोगों की तरफ से इस नए ड्राफ्ट के नियमों को लेकर कोई बड़ी आपत्ति नहीं आती, तो यह राज्य में जल्द ही लागू हो जाएगा।कंस्ट्रक्शन, रिनोवेशन या रिकंस्ट्रक्शन से जुड़े हर छोटे-बड़े बदलाव के लिए पहले के नियमों के मुताबिक नक्शा पास कराना जरूरी था। इस प्रक्रिया में कई बार भ्रष्टाचार और लेटलतीफी के मामले सामने आते थे।
बिल्डिंग के निर्माण के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) देने में भी अलग-अलग विभागों की तरफ से मनमानी रहती थी। इन शिकायतों के देखते हुए सरकार नियमों में बदलाव करने जा रही है।
अब विभागों को NOC लेने के लिए एप्लिकेशन के 7 से 15 दिनों के बीच यह क्लियर कर देना होगा। अगर कोई विभाग इसमें देरी करता है, तो खुद NOC मान्य हो जाएगा। इससे लोगों को नक्शा पास कराने का समय बचेगा और अलग-अलग विभागों का चक्कर काटने से भी मुक्ति मिलेगी।
बिल्डिंग बायलॉज सिर्फ लोगों को ही सहूलियत नहीं देता। यह शहरी या ग्रामीण किसी भी क्षेत्र में वहां के रखरखाव, किसी आपदा के समय लोगों के जान-माल की सुरक्षा, साफ-सफाई और पर्यावरण के लिहाज से जरूरी होता है। इसके पीछे का उद्देश्य-
- शहरों, कस्बों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में इमारतों का डेवलपमेंट सुनिश्चित करना।
- शोर, आग और स्वास्थ्य संबंधी खतरों के समय स्ट्रक्चरल दिक्कत ना आए, यह इस कानून से सुनिश्चित किया जाता है।
- जगहों का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए यह नियम बनाए जाते हैं।
- स्वास्थ्य, सुरक्षा और आराम को देखते हुए वेंटिलेशन, हवा, लाइट और अन्य आवश्यक चीजों से संबंधित इसमें नियम बनाए जाते हैं।
- इसमें फ्लोर एरिया से लेकर ग्राउंड कवरेज, बेसमेंट और पार्किंग स्पेस, भूकंप के झटकों का अनुमान, लिफ्ट और बेसमेंट एरिया और बिल्डिंग लाइन जैसी चीजों का ध्यान रखा जाता है।