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India Attacks Pakistan: 155MM नाल वाली बंदूक का देखिए कमाल, जिससे पाकिस्तान में आया जलजला

India Attacks Pakistan: ड्रोन और मिसाइलों को हवा में मार गिरा पाकिस्‍तान के मंसूबों को चुटकियों में मसलने वाले S-400 Triumph की बीते दिन खूब चर्चा हुई, लेकिन इस बीच उस हथियार का जिक्र रह गया, जिसने पाकिस्‍तान के भीतर न केवल जलजला पैदा कर दिया, बल्कि भारत के पुंछ-राजौरी इलाके का रक्षाकवच बनकर खड़ा गया है. जी हां हम बात कर रहे हैं 155एमएम नाल वाली उस बंदूक की, जिसकी आग से झुलसे पाकिस्‍तान में बीते दो दिनों से हाहाकार मचा हुआ है.

बीते दो दिनों में, भारत की 155mm नाल वाली आर्टिलरी गन्‍स (तोप) ने न केवल पाकिस्तान की उकसावे की कार्रवाइयों का मुंहतोड़ जवाब दिया है, बल्कि दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर एक नया इतिहास रचा है. जम्‍मू और कश्‍मीर के पुंछ और रजौरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात ATAGS, K9 वज्र, धनुष, और M777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर, आर्टिलरी गन्‍स ने अपनी गोलियों की बौछार से पूरे इलाके में अभेद् सुरक्षा कवच तैयार कर दिया है. इन आर्टिलरी गन्‍स के दम पर भारतीय सेना ने न सिर्फ पाकिस्तानी तोपखाने को चुप कराया, बल्कि सीमा पार कई ठिकानों को भी तबाह कर दिया.

आपको बता दें कि भारत ने अपने तोपखाने को आधुनिक बनाने के लिए 1990 के दशक में फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्रोग्राम (FARP) शुरू किया था. इसका लक्ष्य था सभी तोपों को 155mm कैलिबर में बदलना था, जिससे उनकी मारक क्षमता को सटीक बनाया जा सके. आज भारत के पास कई ऐसी आर्टिलरी गन्‍स हैं, जो न केवल लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं, बल्कि दुश्मन की जवाबी कार्रवाई से बचने के लिए तेजी से अपनी स्थिति भी बदल सकती हैं. आइए जानते हैं कुछ खास आर्टिलरी गन्‍स के बारे में…

एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS):
पूरी तरह से भारत में निर्मित यह आर्टिलरी गन डीआरडीओ, भारत फोर्ज, और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की मेहनत का नतीजा है. 155mm/52 कैलिबर की इस तोप की मारक क्षमता 35-45 किलोमीटर तक है, और खास रैमजेट गोले के साथ यह 78 किलोमीटर तक मार कर सकती है. इसकी सटीकता इतनी है कि यह 10 मीटर के दायरे में निशाना लगा सकती है. मार्च 2025 भारत में सरकार ने 307 ATAGS आर्टिलरी गन्‍स की खरीद को मंजूरी दी, जिसकी लागत करीब 7000 करोड़ रुपये है. पुंछ-रजौरी में इस तोप ने पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए और दुश्मन की तोपों को चुप कराया.

K9 वज्र-टी
आर्टिलरी गन K9 वज्र-टी दक्षिण कोरिया के K9 थंडर का भारतीय संस्करण है K9 वज्र को लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा बनाया गया है. यह ऑटोमैटिक गन 40 किलोमीटर तक मार कर सकती है और हर मिनट 6-8 गोले दाग सकती है. यह आर्टिलरी गन 67 किमी/घंटा की रफ्तार से ‘शूट-एंड-स्कूट’ रणनीति पर काम करती है. यानी गोली चलाने के बाद तुरंत स्थान बदल सकती है. 2024 में 100 और K9 वज्र की खरीद के लिए 7,628 करोड़ रुपये का सौदा हुआ. पुंछ की पहाड़ियों से इसने पाकिस्तानी तोपों को निशाना बनाकर उनकी कमर तोड़ दी है.

धनुष हॉवित्जर
ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) द्वारा बनाई गई धनुष को ‘देसी बोफोर्स’ भी कहा जाता है. 155mm/45 कैलिबर की इस तोप की रेंज 38 किलोमीटर है. यह पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से काम कर सकती है. पुंछ-रजौरी सहित जम्‍मू और कश्‍मीर के अन्‍य इलाकों में धनुष ने कई बार पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब दिया और कई पाकिस्‍तानी ठिकानों को तबाह किया. 114 धनुष तोपों का ऑर्डर पहले ही हो चुका है और अब इनके उन्नत संस्करण पर काम चल रहा है.

जम्‍मू और कश्‍मीर में आर्टिलरी गन्‍स का कमाल
हाल ही में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने पुंछ और रजौरी में भारी गोलीबारी शुरू की थी. सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों को घुसपैठ कराने के लिए तोपों और मोर्टारों का इस्तेमाल किया. लेकिन भारतीय सेना ने इसका जवाब अपनी 155mm तोपों से दिया. ATAGS और K9 वज्र ने न केवल पाकिस्तानी तोपों को निशाना बनाया, बल्कि सीमा पार के कई ठिकानों को भी तबाह कर दिया.

स्वाथी वेपन लोकेटिंग रडार (WLR) ने इसमें अहम भूमिका निभाई, जो दुश्मन की तोपों की सटीक लोकेशन बताता है. इस रडार की मदद से भारतीय सेना ने 40-50 किलोमीटर दूर तक पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले किए. K9 वज्र की तेज गति और M777 की हल्की डिजाइन ने पहाड़ी इलाकों में गतिशीलता प्रदान की. धनुष और ATAGS ने अपनी लंबी रेंज और सटीकता से पाकिस्तानी तोपखाने को निष्क्रिय कर दिया. सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इन तोपों ने न सिर्फ पाकिस्तान की रणनीति को विफल किया, बल्कि भारतीय सेना का मनोबल भी बढ़ाया.

स्वदेशी तकनीक का दम
भारत की ये तोपें ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जीता-जागता सबूत हैं. ATAGS और धनुष पूरी तरह स्वदेशी हैं, जबकि K9 वज्र और M777 में भी भारतीय कंपनियों का बड़ा योगदान है. डीआरडीओ द्वारा विकसित 155mm स्मार्ट गोले, जो NavIC और जीपीएस से लैस हैं, सिर्फ 10 मीटर के दायरे में निशाना लगा सकते हैं. इसके अलावा, रैमजेट गोले जो 78 किलोमीटर तक मार कर सकते हैं, जल्द ही सेना में शामिल होंगे. इन गोलों की टेस्टिंग 2024 में बालासोर में सफल रही थी.

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