कलयुग की सावित्री…पति के लिए यमराज से लड़ी
करवा चौथ का त्योहार हर पत्नी के लिए अपने पति की लंबी उम्र की कामना का खास दिन है, लेकिन राजगढ़ की प्रिया ने इस दिन को और भी खास बना दिया. उसने न सिर्फ व्रत रखा, बल्कि अपने पति पुरुषोत्तम को नई जिंदगी दी. यह कहानी प्रिया और पुरुषोत्तम की है, जिसमें प्यार, त्याग और विश्वास की मिसाल देखने को मिलती है.
कुछ समय पहले कोविड की वजह से पुरुषोत्तम की दोनों किडनियाँ खराब हो गईं. डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब सिर्फ किडनी ट्रांसप्लांट ही उनकी जान बचा सकता है. परिवार परेशान था, हर कोई चिंता में डूबा था. लेकिन प्रिया ने हिम्मत नहीं हारी. उसने तुरंत फैसला लिया और कहा, “अगर मेरी किडनी से मेरे पति की जिंदगी बच सकती है, तो यही मेरा असली करवा चौथ होगा.” प्रिया का यह फैसला सुनकर सब हैरान थे, लेकिन उसकी आँखों में अपने पति के लिए प्यार और दृढ़ विश्वास साफ झलक रहा था.
डॉक्टरों ने टेस्ट किए. प्रिया का ब्लड ग्रुप और टिश्यू पुरुषोत्तम से मिल गया. ऑपरेशन की तैयारी शुरू हुई. प्रिया ने बिना किसी डर के अपनी एक किडनी अपने पति को दान कर दी. ऑपरेशन सफल रहा और आज पुरुषोत्तम पूरी तरह स्वस्थ हैं. उनकी जिंदगी में फिर से खुशियाँ लौट आई हैं, और इसका पूरा श्रेय प्रिया को जाता है.
पुरुषोत्तम आज भी भावुक होकर कहते हैं, “मेरी पत्नी मेरे लिए माता पार्वती की तरह है. उसने मुझे मौत के मुँह से निकालकर नया जीवन दिया.” वहीं, प्रिया मुस्कुराते हुए कहती हैं, “अब हर करवा चौथ मेरे लिए सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि जिंदगी का उत्सव है.”
पुराने समय में वीरावती की कहानी सुनाई जाती थी, जिसमें उसने अपने व्रत से पति को जीवनदान दिलाया था. आज, सदियों बाद, राजगढ़ में प्रिया ने उसी कहानी को सच कर दिखाया. इस करवा चौथ, जब चाँद निकलेगा, प्रिया का चेहरा हर पत्नी के प्यार और समर्पण की मिसाल बनेगा. उसने अपने व्रत को सही मायनों में एक वरदान में बदल दिया. प्रिया की यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार और त्याग किसी भी मुश्किल को हरा सकता है.