यूपी विस चुनाव पर नजर, पार्टी-सरकार में बड़ा बदलाव करने जा रही BJP
Uttar Pradesh Politics: उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए बड़े बदलाव की तैयारी में है. ये बदलाव पार्टी संगठन और सरकार दोनों के भीतर होंगे. बीते साल हुए लोकसभा चुनाव में देश के सबसे बड़ी सियारी सूबे में पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था. इसी के मद्देनजर संगठन और सरकार में फेरबदल की योजना बना रही है. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है. इसके साथ योगी सीएम आदित्यनाथ सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना भी है. अब सवाल है कि संगठन और सरकार के भीतर संभावित इस बदलाव से पार्टी के भीतर कौन नेता मजबूत होगा?
लोकसभा चुनाव से सबक
उत्तर प्रदेश में बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. राज्य में उसकी सीटें 62 से घटकर 33 रह गईं. इस हार ने पार्टी को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर किया है. खासकर समाजवादी पार्टी की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है. लोकसभा में सपा 37 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. इस हार के बाद बीजेपी रणनीतिकार मानते हैं कि जातिगत और राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण उसे नुकसान हुआ. ऐसे में अब पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे सीधे राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करते हैं.
सूत्रों का कहना है कि पार्टी और सरकार के भीतर अवध, ब्रज, काशी, अंबेडकर नगर और प्रयागराज बेल्ट से प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा अवध क्षेत्र से पासी और कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व भी बढ़ेगा. अवध क्षेत्र में ही आयोध्या आता है और बीते लोकसभा में राममंदिर निर्माण के बाद भी वहां से भाजपा हार गई. वहीं से पासी समाज के सपा नेता अवधेश प्रसाद विजयी हुए थे. पार्टी सेंट्रल और ईस्टर्न बेल्ट से सैनी, मौर्य और शाक्य समुदाय का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है. केशव प्रसाद मौर्य इसी समुदाय से आते हैं. काशी रीजन में कुर्मी समुदाय पर फोकस रह सकता है.
पार्टी की आंतरिक समीक्षा में यह बात सामने आई है कि इनमें से कई समुदाय भाजपा के परंपरागत वोटर रहे हैं लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में वे पार्टी से दूर चले गए. इस कारण पार्टी के वोट शेयर में बड़ी गिरावट आई. कहीं-कहीं तो यह 6-7 फीसदी तक था. केंद्रीय नेतृत्व को इस फीडबैक से अवगत करवा दिया गया है और रणनीति में बदलाव को लेकर गंभीर मंथन जारी है.
बीजेपी जल्द ही उत्तर प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की तैयारी में है. यह काम पिछले साल अक्टूबर में ही करना था लेकिन कई कारणों से यह टलता रहा. हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की लखनऊ यात्रा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी दिल्ली में मुलाकात के बाद इस नियुक्ति को अंतिम रूप देने की बात सामने आई है. सूत्रों का कहना है कि नया अध्यक्ष ओबीसी या दलित समुदाय से हो सकता है, ताकि इन वर्गों में पार्टी की पकड़ मजबूत हो. इसके अलावा, बीजेपी ने 70 जिलों में नए जिला अध्यक्ष नियुक्त किए हैं, जिनमें 44 नए चेहरे हैं. यह बदलाव जातिगत संतुलन और युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए किए गए हैं. हालांकि, 28 जिलों में अभी भी नियुक्तियां बाकी हैं, जिसे जल्द पूरा करने की योजना है.
बीजेपी ने 2024 की हार से सबक लेते हुए दलित और ओबीसी समुदायों पर विशेष ध्यान देने की योजना बनाई है. पार्टी का ‘एससी डायलॉग’ अभियान दलित वोटरों तक पहुंचने की कोशिश है. इसके तहत पार्टी कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी उन 125 विधानसभा सीटों को फिर से जीतने की रणनीति बना रही है, जिस पर बीते लोकसभा में उसको हार मिली थी. पार्टी महासचिव (संगठन) धर्मपाल सिंह इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं.