कम मेहनत, तीन महीने में लाखों का मुनाफा… सिंघाड़े की खेती..
Water Chestnut Cultivation: सिंघाड़े की खेती एक मुनाफे वाली फसल है. इसे कम समय और कम मेहनत में तैयार किया जा सकता है. इस फसल से किसान तीन से चार महीने में लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं. किसान चित्रा देवी ने बताया कि सिंघाड़े की खेती के लिए जून और जुलाई का महीना सबसे अच्छा होता है, क्योंकि यह फसल बरसात के मौसम में ही बोई जाती है. इस खेती में कम मेहनत और कम लागत के साथ अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है.
कैसे होती है सिंघाड़े की खेती?
किसान चित्रा देवी ने बताया कि सिंघाड़े की खेती के लिए सबसे पहले खेत या तालाब की जुताई की जाती है. उसके बाद गोबर की खाद पूरे खेत या तालाब में डाल दी जाती है और पानी भर दिया जाता है. कुछ दिनों बाद यह मिश्रण पूरी तरह से मिल जाता है, जिससे सिंघाड़े की बुवाई में कोई दिक्कत नहीं आती और उत्पादन बढ़ जाता है.
सिंघाड़े की बुवाई से पहले कीट और रोगों से बचाव के लिए इमीडाक्लोप्रिड (लाल खजूरा कीट के लिए), क्लोरोपाइरीफोस (कीटों के लिए) और मंकोजेब (दहिया रोग के लिए) जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है. लगभग 10 से 12 दिन बाद खेतों में सिंघाड़े के पौधे लगाए जाते हैं.
चित्रा देवी ने बताया कि वे करीब 20-25 वर्षों से सिंघाड़े की खेती कर रही हैं. पति के निधन के बाद उन्होंने स्वयं इस खेती को संभाला. सिंघाड़े की फसल तैयार होने के बाद बाजार में इसकी डिमांड बहुत अधिक होती है. अक्टूबर और नवंबर में कच्चे सिंघाड़े 25-30 रुपए से लेकर 80 रुपए प्रति किलो तक बिकते हैं. यदि इसे पका कर बेचा जाए, तो 150-200 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक्री होती है. दिसंबर में सिंघाड़े की फसल समाप्त हो जाती है.

