यूपी में 100 यूनिट का बिजली बिल अभी तक लगते हैं 640 रुपए, 840 रुपए लेने की तैयारी
उत्तर प्रदेश के 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। बिजली कंपनियों ने दरों में रिकॉर्ड 45% तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग के सामने रखा है। बुधवार को इस पर पहली जनसुनवाई कानपुर के केस्को मुख्यालय में, तो शुक्रवार को पूर्वांचल बिजली वितरण क्षेत्र के उपभोक्ताओं की सुनवाई वाराणसी में हुई। इसमें उपभोक्ताओं, कारोबारी संगठनों और परिषदों ने मीटर रीडिंग से लेकर बिलिंग गड़बड़ी, ट्रिपिंग और ओवर चार्जिंग तक के मुद्दे गिनाते हुए विरोध दर्ज कराया।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि प्रदेश में उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपए का सरप्लस है। फिर भी कंपनियां दरों में बढ़ोतरी कर जनता पर बोझ डाल रही हैं। प्रस्ताव के लागू होते ही घरेलू उपभोक्ताओं के बिल 30 से 45% तक बढ़ सकते हैं। नई दरों में प्रति यूनिट रेट 8 से 12 रुपए तक पहुंच जाएगा। आयोग टैरिफ याचिका पर आपत्तियों की सुनवाई जुलाई में पूरी कर लेगा। सितंबर तक नई दरों के लागू होने की बात कही जा रही है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की दलील है कि जब किसी राज्य में उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। तब कोई भी कानून दरों में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देता। इसे लौटाने पर कोई बात नहीं हो रही। उलटे 45% तक दरों में वृद्धि कर सीधे आम आदमी पर भारी बोझ डाला जा रहा है।
विद्युत नियामक आयोग के सामने उपभोक्ताओं, कारोबारियों ने एक स्वर में केस्को के 18 से 40 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया। आपत्तियों में घरेलू उपभोक्ताओं और कारोबारियों कहा कि टैरिफ लगाने से बिजली के रेट में कई गुना इजाफा हो जाएगा। इससे महंगाई बढ़ने के साथ ही उद्योग भी प्रभावित होंगे।
दलील दी जा रही है कि एक तरफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की औद्योगिक व्यवस्था को एक ट्रिलियन करने का लक्ष्य रखा है, जबकि टैरिफ लगाने से बिजली की 9 से 10 रुपए यूनिट हो जाएंगी। इसका असर सीधे आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की दलील है कि जब किसी राज्य में उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। तब कोई भी कानून दरों में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देता। इसे लौटाने पर कोई बात नहीं हो रही। उलटे 45% तक दरों में वृद्धि कर सीधे आम आदमी पर भारी बोझ डाला जा रहा है।
विद्युत नियामक आयोग के सामने उपभोक्ताओं, कारोबारियों ने एक स्वर में केस्को के 18 से 40 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया। आपत्तियों में घरेलू उपभोक्ताओं और कारोबारियों कहा कि टैरिफ लगाने से बिजली के रेट में कई गुना इजाफा हो जाएगा। इससे महंगाई बढ़ने के साथ ही उद्योग भी प्रभावित होंगे।
दलील दी जा रही है कि एक तरफ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की औद्योगिक व्यवस्था को एक ट्रिलियन करने का लक्ष्य रखा है, जबकि टैरिफ लगाने से बिजली की 9 से 10 रुपए यूनिट हो जाएंगी। इसका असर सीधे आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।
इसमें सबसे सस्ती बिजली दक्षिणांचल और पूर्वांचल को अलॉट है। सबसे महंगी 7.18 रुपए प्रति यूनिट बीएसटी दर केस्को को अलॉट है। अभी पूरे प्रदेश में बिजली दर समान है। निजीकरण हो जाने के बाद सभी कंपनियों की बिजली दर अलग-अलग होगी। उस दशा में सबसे ज्यादा बिजली दर में बढ़ोतरी का प्रभाव केस्को कानपुर के विद्युत उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
आयोग ने केस्को को ये निर्देश दिए
- फिक्स चार्ज खत्म करना संभव नहीं।
- प्रत्येक सर्किल में उपभोक्ता फोरम गठित कर शिकायतों की सुनवाई हो।
- आयोग की ऑनलाइन वेबसाइट में ऑनलाइन और ऑफ लाइन शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं।
- स्मार्ट मीटरिंग लगाने की रफ्तार को बढ़ाया जाए।
- ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे दुकानदारों से अलग से कनेक्शन देने की सुविधा प्रदान की जाए।
- औद्योगिक क्षेत्र को स्काडा से जोड़ने की व्यवस्था का प्लान तैयार किया जाए।