यूपी में 50 छात्र वाले प्राइमरी स्कूल मर्ज नहीं होंगे, जो हुए हैं, उन्हें रद्द करेंगे
यूपी में प्राइमरी स्कूलों के मर्जर पर सरकार ने बड़ा फैसला किया है। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा- एक किमी से अधिक दूरी पर किसी भी स्कूल को मर्ज नहीं किया जाएगा। यही नहीं, अगर किसी स्कूल में 50 से अधिक छात्र हैं तो उसे भी मर्ज नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि जो स्कूल मर्ज हो चुके हैं। उनको अनपेयर यानी उनका मर्जर कैंसिल किया जाएगा। साथ ही, मर्जर में स्कूल की जो बिल्डिंग खाली हो रही हैं, उनमें बाल कल्याण विभाग के सहयोग से बाल वाटिका शुरू की जाएगी। इसमें 3 से 6 साल के बच्चे पढ़ेंगे।
लोक भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री ने दावा किया कि कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा। न ही एक भी टीचर का पद समाप्त किया जाएगा। दरअसल, यूपी सरकार ने 16 जून 2025 को प्राइमरी स्कूलों का मर्ज करने का फैसला किया था। अब तक 10827 स्कूल का मर्जर हुआ है।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने मर्जर के आदेश को सही बताया था। इसके बाद सीतापुर के ही कुछ अन्य बच्चों ने डबल बेंच में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने सीतापुर के 210 में से 14 स्कूलों का मर्जर रोक दिया था।
शिक्षा मंत्री की बड़ी बातें…
- एक किलोमीटर से अधिक दूरी और 50 से अधिक छात्र संख्या वाले जो स्कूल मर्ज हुए हैं, उन्हें फिर अनपेयर किया जाएगा। यानी, मर्जर कैंसिल किया जाएगा।
- सरकार शिक्षा भर्ती के खिलाफ नहीं है। छात्र शिक्षक अनुपात के अनुसार, 50 छात्र संख्या वाले स्कूल में दो सहायक टीचर और एक विषय टीचर नियुक्त किया जाएगा। इस मानक को पूरा करने के लिए आवश्यक हुआ तो शिक्षक भर्ती करेंगे।
- मर्जर से खाली स्कूल में महिला और बाल कल्याण विभाग के सहयोग से बाल वाटिका चलाई जाएगी। बाल वाटिका में 3 से 6 साल के बच्चे पढ़ेंगे, उनके लिए पाठ्यक्रम तैयार किया है। बाल वाटिका के लिए करीब 18 हजार एजुकेटर्स भी जेम पोर्टल से भर्ती किए।
- स्कूलों का मर्जर छात्र हित में किया गया, ताकि उन्हें बेहतर शिक्षा और संसाधन मिले। कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा और शिक्षक का एक भी पद समाप्त नहीं होगा
- प्रदेश में बिना मान्यता के संचालित स्कूलों को अभियान चलाकर बंद किया जाएगा।
- सपा मर्जर का विरोध कर रही। उनकी सरकार के समय शिक्षण व्यवस्था स्ट्रेचर पर आ गई थी। स्कूलों में शिक्षक नहीं थे, स्कूल भवन भी जर्जर थे।
बेसिक शिक्षा विभाग ने मर्जर का दिया था आदेश
बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था। इसमें यूपी के हजारों स्कूलों को बच्चों की संख्या के आधार पर नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया था। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे शिक्षा की क्वालिटी में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।
सरकार के आदेश को 1 जुलाई को सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एक अन्य याचिका 2 जुलाई को भी दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE Act) का उल्लंघन करता है।
छोटे बच्चों के लिए नए स्कूल तक पहुंचना कठिन होगा। यह कदम बच्चों की पढ़ाई में बांधा डालेगा। इससे असमानता भी पैदा होगी। जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ में 3 और 4 जुलाई तक बहस हुई। 4 जुलाई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस पंकज भाटिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
7 जुलाई को सिंगल बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। कहा था- यह फैसला बच्चों के हित में है। ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती, जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो।
सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ डबल बेंच में 3 याचिकाएं दायर की गई थीं। 7 दिन पहले लखनऊ हाईकोर्ट ने सीतापुर जिले के 210 में से 14 प्राइमरी स्कूलों के मर्जर पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा- अभी पुरानी स्थिति को बहाल रखा जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
सरकार की तैयारी क्या है?
हर जिले में एक मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय (कक्षा 1 से 8 तक) खोला जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से इन स्कूलों को आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और शैक्षणिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। हर स्कूल में कम से कम 450 स्टूडेंट के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
स्कूल बिल्डिंग को 1.42 करोड़ की लागत से अपग्रेड भी किया जा रहा। स्कूलों में स्मार्ट क्लास, टॉयलेट, फर्नीचर, पुस्तकालय, कंप्यूटर रूम, मिड-डे मील किचन, डायनिंग हॉल, सीसीटीवी, वाई-फाई, ओपन जिम और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाएगी।
इसी तरह सरकार की ओर से हर जिले में एक मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट स्कूल (कक्षा- 1 से 12 तक) की स्थापना की जा रही है। इस पर करीब 30 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन स्कूलों में कम से कम 1500 छात्रों के लिए स्मार्ट क्लास, एडवांस साइंस लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, खेल मैदान, कौशल विकास सुविधाओं की स्थापना की जाएगी। कक्षा 11-12 के लिए विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय की अलग-अलग कक्षाओं का भी प्रावधान किया जाएगा।
शिक्षक संघ विरोध क्यों कर रहे? सरकार के मर्जर के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने कहा था कि स्कूलों की संख्या कम करने से बच्चों का नुकसान होगा। अभी एक किलोमीटर की दूरी पर ही बच्चे स्कूल नहीं आते। जब एक ग्रामसभा का स्कूल बंद कर दूसरी ग्राम सभा के स्कूल में बच्चों को मर्ज किया जाएगा, तो स्कूल की दूरी और बढ़ जाएगी।
गांव में गरीब माता-पिता बच्चों के लिए वैन नहीं लगा सकते। वह सुरक्षा की दृष्टि से भी बच्चों को दूर स्कूल नहीं भेजेंगे। इससे सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों और अभिभावक का होगा। बच्चे पढ़ाई छोड़ देंगे या प्राइवेट स्कूल में एडमिशन लेने को मजबूर होंगे।
उत्तर प्रदेश प्राइमरी शिक्षक संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी ने कहा था कि सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 और बाल संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन कर रही है।