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 राजस्थान : सरकारी स्कूल की जर्जर छत ढहने से 6 बच्चों की मौत

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जब मनोहर थाना क्षेत्र के सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल की जर्जर छत अचानक ढह गई. इस हादसे में कम से कम 6 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 17 अन्य घायल हो गए. कई बच्चे अभी भी मलबे में फंसे होने की आशंका है. घटना सुबह करीब 7:45 बजे तब हुई, जब बच्चे सुबह की प्रार्थना के लिए स्कूल परिसर में एकत्रित हो रहे थे.

पुलिस के अनुसार, स्कूल भवन पुराना और जर्जर था. पिछले कुछ दिनों की भारी बारिश ने इसकी स्थिति को और कमजोर कर दिया था. स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल की खराब हालत को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें की गई थीं, लेकिन प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. घटना के समय स्कूल में लगभग 60-70 बच्चे और कुछ शिक्षक मौजूद थे. छत गिरने से मलबे में कई बच्चे दब गए और चीख-पुकार से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया.

झालावाड़ के पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि छह बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 17 घायल बच्चों को इलाज के लिए मनोहर थाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले जाया गया है. इनमें से 10 बच्चों को गंभीर हालत में झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर किया गया, जिनमें से 3-4 की हालत नाजुक बनी हुई है. कुछ बच्चों को विशेष उपचार के लिए उच्च चिकित्सा केंद्रों में भेजा गया है.

हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें मौके पर पहुंच गई. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें JCB मशीनों के साथ मलबे को हटाने और फंसे हुए बच्चों को निकालने में जुटी है. ग्रामीणों ने भी अपने हाथों से मलबा हटाकर बचाव कार्य में सहयोग किया. कई घायल बच्चों को निजी वाहनों से तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया.

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा, “झालावाड़ के पीपलोदी में स्कूल की छत गिरने से हुआ दर्दनाक हादसा अत्यंत दुखद और हृदयविदारक है. घायल बच्चों के समुचित उपचार के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.” उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि घायल बच्चों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले.

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा, “मैंने जिला कलेक्टर और शिक्षा अधिकारियों को घायल बच्चों के लिए हर संभव व्यवस्था करने और घटना की जांच करने के निर्देश दिए हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल भवनों की संरचनात्मक सुरक्षा की जांच के लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों.

इस हादसे ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति और रखरखाव की कमी को उजागर किया है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रशासन और जिला अधिकारियों ने भवन की खराब स्थिति की शिकायतों को नजरअंदाज किया, जिसके परिणामस्वरूप यह त्रासदी हुई. हादसे की तस्वीरें और वीडियो, जिसमें मलबे में दबे बच्चों को निकालने की कोशिशें और अभिभावकों का विलाप दिखाई दे रहा है, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो इस त्रासदी की भयावहता को दर्शाते हैं.

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