डिलीवरी बॉय से JPSC पास कर अधिकारी बने “राजेश रजक”
हजारीबाग (दीपक कुमार मोदी), झारखंड संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा (JPSC) 2023 का परिणाम जारी हो चुका है. इसमें हजारीबाग जिले के बरकट्ठा प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव केंदुआ के रहने वाले राजेश रजक ने इस परीक्षा में 271वीं रैंक हासिल कर झारखंड जेल सेवा में अपनी जगह बनाई है। लेकिन ये सिर्फ एक नौकरी पाने की कहानी नहीं है यह कहानी है संघर्ष, हिम्मत, आत्मविश्वास और अडिग जज़्बे की।
साल 2017 में जब राजेश 12वीं कक्षा में थे, उसी वक्त उनके पिता का निधन हो गया। पहले से ही कमजोर आर्थिक स्थिति और फिर इस अचानक सदमे ने पूरे परिवार की ज़िंदगी बदल दी। राजेश की मां जानकी देवी पास के गांव में एक सरकारी स्कूल में रसोइया हैं और उनके बड़े भाई मुंबई में मजदूरी कर परिवार का साथ देते रहे। पढ़ाई छोड़ने की नौबत तक आ गई थी, लेकिन तभी एक निजी स्कूल में 6,000 रुपये प्रतिमाह की उन्हें नौकरी मिल गई, जिससे उनकी पढ़ाई की लौ बुझने से बच गई।
राजेश ने 12वीं के बाद हजारीबाग से स्नातक पूरा किया और फिर रांची में आगे की पढ़ाई शुरू की। खुद का खर्च और घर की जिम्मेदारी दोनों कंधों पर थी। रांची में रहकर दिन में डिलीवरी बॉय की नौकरी और रात में तैयारी करना उनके जीवन का सबसे कठिन और संघर्षपूर्ण अध्याय था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
जब JPSC की संयुक्त परीक्षा का विज्ञापन आया, तो राजेश ने डिलीवरी की नौकरी छोड़ दी और पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया। छठी JPSC में प्रारंभिक परीक्षा पास की, लेकिन मुख्य परीक्षा में सफलता नहीं मिली। इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि यह आत्मविश्वास दिया कि वो सिविल सेवा जैसी बड़ी परीक्षा में भी टिक सकते हैं।
राजेश ने JSSC-CGL परीक्षा भी पास की थी, लेकिन वह मामला न्यायालय में लंबित है। अब जब JPSC 2023 का परिणाम आया, और उनका झारखंड जेल सेवा में चयन हुआ, तो पूरे परिवार के लिए यह भावनाओं से भरा सुखद क्षण बन गया। उनकी मां जानकी देवी भावुक होकर कहती हैं, “बचपन से ही बेटा मेहनती था और आज उसकी मेहनत रंग लाई है। ये सिर्फ हमारे लिए नहीं, पूरे गांव और समाज के लिए गर्व का पल है।”
राजेश रजक की कहानी सिर्फ एक सफल उम्मीदवार की नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं की प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए हर परिस्थिति से लड़ने का साहस रखते हैं।