सुरक्षा के लिए सतर्क और ताकतवर बनना होगा : RSS प्रमुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा, ‘पहलगाम हमले में आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की। हमारी सरकार और सेना ने इसका जवाब दिया। इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला।’
उन्होंने कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में समझ रखनी होगी। पहलगाम घटना हमें सिखा गई कि भले ही हम सभी के साथ दोस्ती का भाव रखते हैं और रखेंगे, लेकिन हमें अपनी सुरक्षा के प्रति और अधिक सजग, समर्थ रहना पड़ेगा।
RSS प्रमुख ने यह बात गुरुवार को नागपुर में विजयादशमी पर संगठन के शताब्दी समारोह में कही। उन्होंने 41 मिनट के भाषण में समाज में आ रहे बदलाव, सरकारों का रवैया, लोगों में बेचैनी, पड़ोसी देशों में उथल-पुथल, अमेरिकी टैरिफ का जिक्र किया।
इससे पहले भागवत ने RSS के संस्थापक डॉ हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी। शस्त्र पूजन किया। इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि थे।
भागवत के स्पीच की 4 बड़ी बातें, कहा- अमेरिकी टैरिफ का सब पर असर
1. पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही: आज पूरी दुनिया में अराजकता का माहौल है। ऐसे समय में पूरी दुनिया भारत की तरफ देखती है। आशा की किरण ये है कि देश की युवा पीढ़ी में अपने देश और संस्कृति के प्रति प्रेम बढ़ा है। समाज खुद को सक्षम महसूस करता है और सरकार की पहल से खुद ही समस्याओं का निदान करने की कोशिश कर रहा है। बुद्धिजीवियों में भी अपने देश की भलाई के लिए चिंतन बढ़ रहा है।’
2. दुनिया में आप अकेले जी नहीं सकते: अमेरिका ने जो नई टैरिफ नीति अपनाई उसकी मार सभी पर पड़ रही है। इसलिए दुनिया में आपसी संबंध बनाने पड़ते हैं। आप अकेले नहीं जी सकते, लेकिन ये निर्भरता मजबूरी में न बदल जाए। इसलिए हमको इसको मजबूरी न बनाते हुए आत्मनिर्भर होना पड़ेगा।
3. हिंसा बदलाव का तरीका नहीं: प्राकृतिक उथल-पुथल के बाद पड़ोसी देशों में भी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। कभी-कभी होता है प्रशासन जनता को ध्यान में रखकर नीति नहीं बनाता, उनमें असंतोष होता है, लेकिन उसका इस तरह से सामने आना ठीक नहीं है। इतनी हिंसा सही नहीं है। लोकतांत्रिक तरीके से बदलाव आता है।
4. हिंसक परिवर्तनों से अराजकता की स्थिति बनती है: हिंसक परिवर्तनों से उद्देश्य नहीं मिलता, बल्कि अराजकता की स्थिति में बाहर की ताकतों को खेल-खेलना का मौका मिल जाता है। पड़ोसी देशों में ऐसा होना हमारे लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वे पहले हमारे लोग ही थे। परिस्थिति ऐसी है कि सुख सुविधा बढ़ी, राष्ट्र पास आए,आर्थिक लेने देन के जरिए पास आए। मनुष्य जीवन में जंग और कलह चल रहे हैं अब परिवारों में भी टूटन आ रही है।
RSS प्रमुख बोले- आज हमारी विविधताओं को खत्म करने की कोशिश की जा रही
RSS प्रमुख ने कहा, शाखा से स्वंयसेवकों में राष्ट्र के प्रति भक्ति का निर्माण होता है। किसी भी देश को ऐसा होना हो तो समाज में एकता चाहिए। हमारा देश विविधताओं का देश है। बीच के काल में आक्रमण हुए विदेश भारत आ गए। यहां के लोगों ने उनके पंत को स्वीकार किया,अंग्रेज चले गए, लेकिन कुछ परंपराएं यहां रह गईं। अब हम उन परंपराओं का सम्मान कर रहे हैं। हम उन्हें पराया नहीं मानते। हम दुनिया की सभी परंपराओं का स्वागत करते हैं। आज अपने देश में इन विविधताओं को भेद में बदलने की कोशिश चल रही है। सब अपनी जगह ठीक हैं, हम एक ही हैं हम अलग नहीं है। एकता के चलते हमारा सबका आपस का व्यवहार सम्मानपूर्वक होना चाहिए। सब के अपने पूजा स्थान हैं। उनका सम्मान होना चाहिए। यहां सब साथ रहते हैं, जैसे बर्तन साथ रहते हैं, तो आवाज हो जाती है। समाज में इतने लोग हैं अगर छोटी बातों पर कुछ हो जाता है, सड़क पर निकल आए, तो यह ठीक नहीं है। शासन प्रशासन अपना काम बिना पक्षपात के करते हैं, लेकिन समाज की युवा पीढ़ी को सजग होना पड़ेगा, क्योंकि ये अराजकता का व्याकरण है, इसे रोकना पड़ेगा। हमारा एकता का आधार हमारी विविधता है। भारत की विशेषता है वो सर्व समाजसेवक है।
मोहन भागवत ने कहा- दुनिया भारत की ओर देखती है
मोहन भागवत ने कहा, दुनिया में बेचैनी है, उथल-पुथल है, इसके बीच दुनिया भारत से अपेक्षा कर रही है। नियति भी यही चाहती है कि भारत कोई हल निकालेगा। भारत उन्हें मार्गदर्शन देगा।
पहली बात है कि दुनिया की व्यवस्था में परिवर्तन तो चाहिए, लेकिन सभी आगे चल रहे हैं। एकदम पीछे मुड़ेंगे तो गाड़ी पलट जाएगी, इसलिए धीरे-धीरे कदमों से पीछे पलटना होगा। तब इस व्यवस्था का सही से काम होगा।
उन्होंने कहा कि दुनिया को धर्म की दृष्टि देनी होगी। यह सबको चलने वाला उन्नति वाला मार्ग दुनिया को देना होगा। ऐसा संघ भी मानता है। जैसा समाज है वैसी व्यवस्था चलेगी। इसलिए समाज को बदलना होगा ताकि सिस्टम बदल सके। समाज को नए आचरण में ढालना होता है।
मोहन भागवत बोले- बाहर की ताकतों को खेल खेलना का मौका मिलेगा
मोहन भागवत ने कहा- प्राकृतिक उथल-पुथल के बाद पड़ोसी देशों में भी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। कभी-कभी होता है प्रशासन जनता को ध्यान में रखकर नीति नहीं बनाता, उनमें असंतोष होता है लेकिन उसका इस तरह से सामने आना वह ठीक नहीं है। इतनी हिंसा सही नहीं है। लोकतांत्रिक तरीके से बदलाव आता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे ही हिंसक परिवर्तनों से उद्देश्य नहीं मिलता बल्कि अराजकता की स्थिति में बाहर की ताकतों को खेल खेलना का मौका मिल जाता है। पड़ोसी देशों में ऐसा होना हमारे लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वे पहले हमारे लोग ही थे। परिस्थिति ऐसी हैं कि सुख सुविधा बढ़ी, राष्ट्र पास आए,आर्थिक लेने देन के जरिए पास आए। मनुष्य जीवन में जंग और कलह चल रहे हैं अब परिवारों में भी टूटन आ रही है।