सम्राट चौधरी अपनाएंगे ‘YA या NK मॉडल
पटना: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी शासन प्रणाली से दूसरे राज्यों में भी वैसी ही व्यवस्था की भूख जगा दी है. बिहार वासी तो पड़ोसी राज्य के शासन तंत्र से इस कदर प्रभावित हैं कि वे हर किस्म के अपराध को रोकने के लिए योगी के बुलडोजर मॉडल की दुहाई देने लगते हैं. बिहार में 5 दशकों बाद भाजपा कोटे के मंत्री सम्राट चौधरी को गृह मंत्रालय मिलने के बाद सभी को उनसे यह उम्मीद जगी है कि वे जरूर योगी का मॉडल अपनाएंगे. गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने के साथ ही बेगूसराय के कुख्यात अपराधी शिवदत्त राय को पुलिस ने एनकाउंटर में जख्मी कर दिया तो इसे सम्राट चौधरी के सख्त अंदाज के रूप में लोग देख रहे हैं.
सम्राट ने भी साफ कर दिया है कि अपराधी बिहार छोड़ दें, वरना उनके साथ वही सलूक होगा, जो बेगूसराय में राय के साथ हुआ है. योगी मॉडल लागू करने के पत्रकारों के सवाल पर उनका यही जवाब था- बिहार में अपराधियों की खैर नहीं है. अपराधियों को अब बिहार से बाहर जाना होगा.
2005-10 के दौरान था ऐसा ही मंजर
पुलिस के ऐक्शन और सम्राट के ऐलान के बाद अपराधी कौन-सा रुख अख्तियार करेंगे, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन सख्ती का आलम देख 2005-2010 का दौर लोगों को याद आ रहा है. नीतीश कुमार तब पहली बार सीएम बने थे. गृह विभाग उनके ही पास था. अपराधियों पर नकेल कसने के लिए उन्होंने तमाम बड़े बदमाशों को जेल के अंदर डाल दिया था. स्पीडी ट्रायल के जरिए उन्हें सजा दिलाई. लालू-राबड़ी के जंगल राज से तबाह लोगों को तब बड़ी राहत मिली थी. नीतीश कुमार के उसी दौर (2005-2010) को लोगों ने सुशासन नाम दे दिया. जो अपराधी जेल जाने से बच गए, उन्होंने दूसरे राज्यों का रुख कर लिया था. सम्राट चौधरी कौन-सा तरीका अपनाएंगे, यह देखने वाली बात होगी. हालांकि अनुमान है कि वे नीतीश के अंदाज में काम करने की बजाय यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का मॉडल अपनाना शायद पसंद करें.
भाजपा ने इस बार 2 काम परंपरा से हट कर किए हैं. अव्वल तो भाजपा ने 20 साल में पहली बार गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री से लेकर अपने किसी नेता को सौंपा है. दूसरा कि इसी बहाने भाजपा सम्राट को मुख्यमंत्री के लिए ट्रेंड भी कर रही है. सम्राट चौधरी ने अगर अपराध पर अंकुश लगाने में तनिक भी सफलता हासिल की तो उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. प्रधानमंत्री की सभाओं में उनके साथ मंच पर दूसरे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा को भले जगह नहीं मिली हो, लेकिन सम्राट को यह मौका हमेशा मिला. तब से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि एनडीए के सत्ता में आने पर सम्राट को पार्टी कोई बड़ा पद देगी. कयास तो ये भी लगाए जा रहे थे कि भाजपा अगर अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में आती है तो सम्राट को ही सीएम भी बनाया जा सकता है. गृह मंत्रालय मिलने से उनके सामने साबित करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.
सम्राट चौधरी भाजपा में प्रमुख चेहरा बन गए हैं. इसकी झलक तो पहले से ही दिखती रही है. जब से वे भाजपा के साथ आए हैं, उन्हें पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपती रही है. पहले उन्हें पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया और बाद में उपमुख्यमंत्री. अपनी आसान उपलब्धता और मिलनसारिता जैसे गुणों के कारण सम्राट चौधरी को लोग पसंद भी करते हैं. अब चूंकि गृह मंत्रालय उनके पास आ गया है तो उन्हें अपने को साबित करने का मौका भी मिल गया है. भाजपा कोटे से 2 डिप्टी सीएम होने के बावजूद विजय कुमार सिन्हा को एक्सपोजर का उतना अवसर पार्टी ने नहीं दिया, जितना सम्राट चौधरी को मिला है.

