मायावती का फोन न उठाने पर शमसुद्दीन BSP से बर्खास्त
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने लखनऊ और कानपुर मंडल के प्रभारी शमसुद्दीन राईन को पार्टी से निकाल दिया है। ये कार्रवाई इस कारण से अधिक चौंकाती है, क्योंकि सुबह ही बसपा ने उन्हें लखनऊ और कानपुर मंडल का प्रभारी बनाया था। लेकिन दोपहर होते–होते ऐसा क्या हुआ कि उन पर पार्टी में गुटबाजी बढ़ाने और अनुशासनहीनता करने का आरोप लगाते हुए पार्टी से ही बर्खास्त कर दिया गया।
बसपा में कभी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निष्कासन के बाद बड़े मुस्लिम चेहरा बनते जा रहे राईन का विवादों से नाता क्या है? कैसे एक बूथ कार्यकर्ता से वह संगठन में कद्दावर नेता बन गए? सुबह 8 बजे लखनऊ-कानपुर मंडल का प्रभारी बनाने के बाद ऐसा क्या हुआ कि दोपहर में उन पर कार्रवाई हो गई।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने शमसुद्दीन राईन के निष्कासन का लेटर जारी किया है। जिसमें लिखा है- शमसुद्दीन लगातार और कई बार चेतावनी देने के बावजूद पार्टी में गुटबाजी बढ़ाने व अनुशासनहीनता करते जा रहे थे। इनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आने की वजह से और पार्टी व मूवमेंट के हित में बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के संज्ञान में लाकर इनको पार्टी से निष्कासित किया गया है।
राईन के पार्टी से निष्कासन के पीछे दो कारण बताए जा रहे
बसपा ने दिवाली के दिन यूपी के कुछ मंडल प्रभारियों के कामकाज में बदलाव किया था। तब शमसुद्दीन को बरेली मंडल का दायित्व सौंपा गया था। आज सुबह एक बार फिर शमसुद्दीन के दायित्वों में बदलाव किया गया।
पार्टी सूत्रों की मानें तो शमसुद्दीन राईन को पार्टी से निकाले जाने के पीछे दो कारण हैं। पहला- लखनऊ व कानपुर मंडल का प्रभारी बनाने के दो घंटे बाद उनके पास पार्टी के एक बड़े नेता का फोन आया, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
सूत्र बताते हैं ये फोन कॉल खुद बसपा सुप्रीमो मायावती का था। इसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।
दूसरा कारण था- पार्टी में गुटबाजी बढ़ाने का। इसका संबंध 9 अक्टूबर की रैली से है। तब शमसुद्दीन ने अपने प्रभार वाले जिलों से आने वाले वाहनों पर प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल की तस्वीर वाले होर्डिंग व बैनर नहीं लगने दिया था।
दोनों ही कारणों को लेकर ‘दैनिक भास्कर’ ने शमसुद्दीन राईन से बात की। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल और रैली वाली बात को सिरे से खारिज कर दिया। कहा- सुबह ही बहन जी ने उन्हें लखनऊ-कानपुर मंडल की जिम्मेदारी सौंपी थी।
बुधवार रात देर से सोने की वजह से सुबह जल्दी नहीं जग पाए। इसी बीच बहन जी का मेरे पास कॉल आया, लेकिन मैं रिसीव नहीं कर पाया। इसके बाद दोपहर में पार्टी से निष्कासन की खबर आ गई। मेरी जानकारी में मैंने कभी कोई गुटबाजी या अनुशासनहीनता का काम नहीं किया है।

