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सुल्तानपुर : 10 फीट जमीन के लिए पापा-बाबा को मार डाला, बेटी ने कहा- चाचा सबको खत्म करना चाहता था, ट्रिगर फंसने से बची जान

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मेरे चाचा अजय यादव बुलेट से आए। आते ही फायरिंग शुरू कर दी। मेरे बाबा को 3 गोलियां लगीं। उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मेरे हाथ के पास से एक गोली निकली। मैं बच गई। इसके बाद मैं अपनी मम्मी को लेकर कमरे में भागी। इससे पहले मेरे पापा को नहर के किनारे 5 गोलियां मारी थीं। उनकी भी मौत हो गई। चाचा का तमंचा फंस गया। तब तक मेरे भाई ने गेट बंद कर दिया।

चाचा चिल्ला रहे थे मेरा कोई नहीं है। सबको मार दूंगा। पूरे खानदान को खत्म कर दूंगा। उनका इरादा पूरे परिवार को खत्म करने का था, तमंचे का ट्रिगर फंसने से हम लोग बच गए। यह पूरा विवाद 10 फीट जमीन को लेकर था। इससे पहले भी पिता पर कई बार फायरिंग कर चुके थे।

ये कहना है मृतक सत्य प्रकाश यादव की बेटी सृष्टि का। सुल्तानपुर में जिसके सामने ये वारदात हुई। नहर किनारे बसे सहरी गांव की आबादी करीब 1800 है। गांव में यादव, बाह्मण और ठाकुर ज्यादा हैं। पूर्व प्रधान काशी राम यादव का घर नहर से बीस कदम की दूरी पर है। पहले टीम उनके घर पहुंची। काशीराम यादव के चार बेटे हैं। सत्य प्रकाश चार भाइयों में सबसे बड़े थे, वह भी प्रधान रह चुके थे। उसके बाद अजय यादव, विजय यादव और सत्येंद्र यादव के साथ चार बहने हैं। बहनों की शादी हो चुकी है।

टीम से घर के बाहर इकट्‌ठा लोगों ने बताया- सत्येंद्र की शादी के लिए देखने वाले चार दिन पहले ही आए थे। सत्य प्रकाश का मकान 4 बीघे में बना है। घर के बाहर काफी जमीन है। वारदात के बाद घर के बाहर पुलिस फोर्स तैनात है। 50 मीटर की दूरी पर आरोपी अजय यादव का मकान है।

गांव में घटना के दूसरे दिन सन्नाटा पसरा हुआ है। सत्य प्रकाश के घर पर रो रही महिलाओं को पड़ोसी और रिश्तेदार संभालते दिखे। इनका कहना है कि ऐसा कलयुग आ गया है कि अब भाई जमीन के टुकड़े के लिए भाई और बाप के खून का प्यासा हो गया है। लोगों ने बताया- सत्य प्रकाश के पास पैतृक 13 बीघे जमीन थी। उसने एक बीघा जमीन अपने माता-पिता के नाम पर खरीदी थी। मृतक सत्य प्रकाश के दो बेटे रितेश (20) और कृष्णा (16) के अलावा एक बेटी सृष्टि (18) है। आरोपी अजय की पत्नी सुनीता और दो बच्चे हैं।

हमने घर वालों से बात करने की कोशिश की। लेकिन घर पर कोई आदमी नहीं था। सब पोस्टमॉर्टम हाउस गए थे। घर पर महिलाएं ही थीं। वह बात करने की स्थिति में नहीं थीं। घर के बाहर सत्य प्रकाश की बेटी सृष्टि मिली।

उससे बात करने की कोशिश की। सृष्टि ने कहा- हमने क्या गलती की? मेरे पिता सब चीज चाचा को दिला रहे थे। रात में बारह-बारह बजे उनके साथ खड़े रहते थे। उनको न्याय में ये मिला। 12-15 घंटे हो गए और हमें इंसाफ की बूंद तक नहीं मिली। विवाद 9 साल से चल रहा था, लेकिन सब कुछ नॉर्मल हो गया था।

अभी डेढ़ साल पहले मेरे पापा ने मम्मी के नाम पर लोन लिया और उससे 10 फीट जमीन खरीदी। चाचा चाहते थे कि जमीन मम्मी के नाम पर न होकर उनके नाम पर हो जाए। कोई इतना पागल नहीं है कि अपनी खुद की कमाई को दूसरे को दे देगा। मेरे पापा ने 3-3 मकान बनवाए। प्रॉपर्टी ली, लेकिन अपने नाम पर कुछ नहीं लिया। बाबू (बाबा) के नाम पर लिया। 17 जनवरी 2024 को चाचा घर पर आए और गाली गलौज की। गांव में पंचायत हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 8 दिसम्बर को पापा को नहर के पास रोके और 10 फिट जमीन जो और थी, वो लेना चाहते थे। गांव में आकर उन्होंने विवाद किया। उसके बाद सब कुछ नॉर्मल हो गया।

इस बीच रविवार रात 8.30 बजे मेरे पापा घर आ रहे थे, तभी नहर के पास चाचा अजय यादव ने उनकी बाइक को ओवरटेक किया और अवैध पिस्टल से एक के बाद एक 5 गोली मारी। पापा को तड़पता छोड़कर चाचा सीधे घर पर पहुंचे और मेरे घर पर फायरिंग करने लगे। मेरे भाई ने गेट बंद कर लिया। उसी समय घर के बाहर बैठे मेरे बाबा चाचा को समझाने के लिए उठकर आए। तो चाचा ने बाबा को भी 3 गोली मार दी। सत्य प्रकाश के बेटे कृष्णा यादव ने बताया- मेरे पापा चार भाई थे, तीन लोग साथ में रहते थे। इन्होंने (चाचा अजय यादव) ने कहा कि मुझे नहीं रहना। वो अलग रहने लगे। इन्होंने कई बार गोली मार देने की धमकी दी। दो तीन बार घर पर गोली चली भी। पापा शांत स्वभाव के थे, बोले जाने दो भाई है। पापा का समाज में उठना बैठना है, ये हो जाता कि भाई ने भाई पर गोली चला दी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण रति राम शुक्ला हैं। इसके अलावा श्याम सिंह, अजय यादव, कक्कू सिंह और एक लोग जूड़ा पट्टी के हैं वो भी शामिल हैं। पापा को नहर पर गोली मारी गई और दादा को घर पर गोली मारी गई। रति राम शुक्ला से रंजिश थी, बहुत पहले सब खत्म हो गया था। हमारे पापा ने बहुत कुछ बनाया। घर के लिए भी, अपने लिए भी। इनको देखा नहीं जा रहा था। रति राम शुक्ला ने दो तीन बार फोन पर भी कहा था, गोली मरवा देंगे।वर्ष 2016 में सत्य प्रकाश जूड़ा पट्टी ग्राम सभा से प्रधान चुने गए थे। अपने सरल स्वभाव की वजह से उन्होंने कम समय में ही क्षेत्र में अपना दबदबा बना लिया। नतीजा ये रहा कि इसके बाद हुए चुनाव में उनकी सीट एससी हो गई, लेकिन उन्होंने अपने बल बूते रामजी को चुनाव जितवा लिया।

जूड़ा पट्टी ग्राम सभा में कम समय में सत्य प्रकाश की बढ़ती राजनीतिक प्रतिष्ठा उनके विरोधियों के साथ क्षेत्र के बड़े राजनीतिक लोगों में अखरने लगी। ऐसे में उन्हें किनारे लगाने के लिए राजनीतिक घराने के लोगों ने बाहरी नहीं घर में ही उसके हत्यारे को तैयार किया।

हत्यारोपी अजय यादव सोनीपत में रहकर बेकरी का काम करता था। करीब डेढ़ साल पहले वो गांव लौटा फिर वापस नहीं गया। इस बीच उसके भाई सत्य प्रकाश ने हाईवे पर 10 फीट की जमीन पत्नी सुमित्रा देवी के नाम खरीदा, सुमित्रा सफाई कर्मी के पद पर तैनात हैं। जमीन की क़ीमत 15 से 20 लाख थी।

बताया जा रहा है कि इसी के बगल में ही दस फीट का एक टुकड़ा और था, जिसे अजय खरीदना चाहता था। उसने भाई से कहा भी, लेकिन सत्य प्रकाश ने अजय की नहीं सुनकर गांव के ही एक दूसरे व्यक्ति को जमीन दिलवा दिया। इसके पीछे जो बात सामने आई वो ये कि अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए सत्य प्रकाश ने ऐसा किया। यही बात दोनों भाई में विवाद का कारण बन गई।

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