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सुल्तानपुर : हिस्ट्रीशीटर ने खुद को मारी गोली

सुल्तानपुर में एक हिस्ट्रीशीटर ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उसके सीने में गोली लगी थी। पुलिस ने दरवाजा तोड़वाया तो वह बेड पर खून से लथपथ पड़ा था।

आत्महत्या की वजह अभी सामने नहीं आ सकी है। घटना कूरेभार थानाक्षेत्र के गलिबहा गांव की शनिवार सुबह की है। युवक की पहचान दुर्गेश सिंह उर्फ मोनू के रूप में हुई है।

पुलिस ने बताया कि आरोपी सुल्तानपुर थाने का हिस्ट्रीशीटर था। उसके खिलाफ कादीपुर LIC लूटकांड के अलावा करीब 10 मुकदमें दर्ज थे। दुर्गेश सिंह उर्फ मोनू गलिबहा गांव का रहने वाला है। वह अपने माता-पिता से अलग गांव में ही दो कमरों का मकान बनाया था।

उसकी अभी शादी नहीं हुई थी। दुर्गेश तीन भाईयों में दूसरे नंबर पर था। उसके बड़े भाई अजय और छोटा राघवेंद्र हैं।

कई वारदातों में नाम आने के बाद घर वाले उससे नाता तोड़ लिए थे। गांववालों के अनुसार, दुर्गेश कई सालों से बाहर रहता था। दो दिन पहले ही वह गांव लौटा था।

शनिवार सुबह करीब 8 बजे पड़ोसियों ने उसके घर से गोली चलने की आवाज सुनी। आसपास के लोग पहुंचे तो दरवाजा अंदर से बंद था। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई।

मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़वाया। अंदर एक कमरे में बेड पर खून से लथपथ दुर्गेश पड़ा था। उसके सीने में गोली लगी थी।

पुलिस ने तत्काल फॉरेंसिक टीम को बुलाया। इसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया।

बल्दीराय के सीओ आशुतोष कुमार ने बताया कि सूचना पर पुलिस पहुंची थी। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। सीने में गोली लगी थी। हम हर पहलू की जांच कर रहे हैं।

सुल्तानपुर थाने का हिस्ट्रीशीटर, कादीपुर LIC लूटकांड में था शामिल

दुर्गेश सिंह सुल्तानपुर थाने का हिस्ट्रीशीटर था। आरोपी पर गैंगेस्टर समेत कुल 10 मुकदमे दर्ज हैं। उसका हिस्ट्रीशीट नंबर 175A है।

दरअसल, सुल्तानपुर के कादीपुर में एलआईसी (LIC) ब्रांच में दिनदहाड़े एक बड़ी डकैती 1 सितंबर 2008 को हुई थी। दोपहर करीब 12.30 बजे असलहों से लैस बदमाशों ने शाखा के गेट पर तैनात सुरक्षा गार्ड सत्य प्रकाश तिवारी की कनपटी पर रिवॉल्वर सटाकर उसकी बंदूक छीनी ली।

इसके बाद वे अंदर ब्रांच में घुसे। वहां से 13 लाख 15 हजार रुपए लूटकर फरार हो गए। तत्कालीन ब्रांच मैनेजर ईश्वर देव सिंह ने इस मामले में केस दर्ज कराया था। एफआईआर में दुर्गेश का भी नाम था।

5 नवम्बर को सजा सुनाई जानी थी

एलआईसी लूटकांड में कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। 29 अक्टूबर को कोर्ट में आरोप तय हुआ। 5 नवम्बर को सजा सुनाई जाने वाली थी। दुर्गेश काफी दिनों से बाहर ही था। वह फाइनल हियरिंग के लिए गांव लौटा था।

माना जा रहा है कि सजा होने की डर से दुर्गेश परेशान था। हालांकि, परिवार के लोग इस मामले में कुछ भी बोल नहीं रहे हैं।

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