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बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य- योगी सरकार: यूपी में बुलडोजर सशर्त चलता रहेगा

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बुलडोजर चलाने के लिए हिम्मत चाहिए। बुलडोजर पर सबका हाथ सेट नहीं होता। – सीएम योगी

2027 में सपा सरकार बनने के बाद सभी बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की तरफ होगा। – अखिलेश यादव

यूपी की राजनीति के केंद्र बुलडोजर पर अब सुप्रीम कोर्ट ने लगाम लगा दी है। कोर्ट ने 15 पॉइंट की गाइडलाइन जारी की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई सवाल खड़े हुए हैं। क्या अपराधियों के घर अब बुलडोजर एक्शन पहले की तरह नहीं हो पाएगा? योगी सरकार अब आगे क्या करेगी? हालांकि, यूपी सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह स्वागत योग्य है। यह केस दिल्ली से संबंधित था और उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी।

1- रातों-रात किसी का घर नहीं गिरा सकती राज्य सरकार हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट एलपी मिश्रा कहते हैं- सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई को तर्कसंगत बना दिया है। कोई भी निकाय या प्राधिकरण संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले संबंधित व्यक्ति को नोटिस देना होगा। उसका पक्ष सुनना होगा। इसका मतलब है कि राज्य सरकार रातों-रात किसी का घर नहीं गिरा सकती।

2- अफसर दोषी पाए गए तो जुर्माना भरना पड़ेगा एलपी मिश्रा कहते हैं- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घर बनाना संवैधानिक अधिकार है। इसलिए बुलडोजर की कार्रवाई केवल अवैध निर्माण पर ही हो सकेगी। कोई भी संस्था सरकार के बिहाफ पर काम करती है, इसलिए मुआवजे या जुर्माने का भुगतान राज्य सरकार को ही करना होगा। अगर किसी मामले विशेष में अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया जाता है, तो मुआवजा या जुर्माना उन्हें खुद अदा करना होगा।

3- बुलडोजर एक्शन में कमी आएगी एडवोकेट जीएस परिहार कहते हैं- अपराधी को सजा के बाद भी संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाने का आदेश दिया गया है। इससे बुलडोजर अभियान कमजोर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय करने का आदेश दिया है। इससे अब अधिकारी बिना किसी ठोस आधार के बुलडोजर की कार्रवाई नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट का आदेश पालन नहीं हुआ, तो अवमानना हो जाएगी। बुलडोजर एक्शन के लिए कानून प्रक्रिया का पालन करना होगा।

यूपी सरकार बोली- यह केस दिल्ली से संबंधित है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी सरकार की ओर से इस बारे में प्रतिक्रिया जारी की गई। इसमें कहा गया है कि कानून राज की पहली शर्त सुशासन होती है। सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह स्वागत योग्य है। हालांकि, यह केस दिल्ली से संबंधित था और उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी। इसके बावजूद यह निर्णय व्यापक प्रभाव डाल सकता है। इस फैसले से सभी पर कानून का राज लागू होता है।

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