नीतीश सरकार में चारा घोटाले से 70 गुना बड़ा गड़बड़झाला!
पटना. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बिहार सरकार पर 70,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का सनसनीखेज आरोप लगाया है. उन्होंने 2023-24 के लिए कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विभिन्न विभागों ने फंड की उपयोगिता रिपोर्ट (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) नहीं जमा की. खेड़ा का दावा है कि यह राशि बिहार के सालाना बजट का एक तिहाई है और अगर इसे रोका नहीं गया तो अगली बार 1.40 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हो सकता है. बता दें कि यह घोटाला लालू यादव के शासनकाल में हुए 903 करोड़ रुपये के चारा घोटाला से 70 गुना से भी अधिक कहा जा रहा है. इससे पहले बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और बिहार सरकार पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि सरकार फंड का सही इस्तेमाल नहीं कर रही और जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है. तेजस्वी ने हाल के विधानसभा सत्र में भी इस मुद्दे को उठाया था.दोनों नेताओं का निशाना नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार पर है जो 2025 के चुनाव से पहले विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन सकता है. आइये आगे जानते हैं यह पूरा मामला क्या है और इसपर क्यों सवाल उठ रहे हैं
बिहार में हाल ही में 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है जिस पर विपक्ष नीतीश सरकार को घेर रहा है. यह आरोप कैग रिपोर्ट के आधार पर लगाया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार सरकार ने 70,877 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए हैं. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार ने कई विभागों को दी गई राशि की उपयोगिता रिपोर्ट 18 महीने के भीतर जमा नहीं की जो नियमों के खिलाफ है. पवन खेड़ा का कहना है कि यह पैसा विभिन्न योजनाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के लिए था, लेकिन इसका हिसाब-किताब गायब है. अगर यह सच है तो यह बिहार के विकास बजट पर गहरा असर डाल सकता है. विपक्ष इसे भ्रष्टाचार का सबूत बता रहा है, जबकि सरकार इसे प्रक्रियात्मक कमी कह रही है.
घोटाले की डिटेल
– पंचायती राज विभाग में 28,154 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है.
– शिक्षा विभाग में 12,623 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है.
– शहरी विकास विभाग में 11,065 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है.
– ग्रामीण विकास विभाग में 7,800 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है.
– कृषि विभाग में 2,107 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है.
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि नीतीश सरकार ने घोटाले को छिपाने की कोशिश की है और जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि पहले ये लोग घोटाला करते हैं और फिर लोगों को मछली-मटन-मुसलमान में फंसाने लगते हैं. जबकि, सरकार ने आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो सभी राज्यों में लागू होती है. वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने कहा है कि यह कोई गबन या वित्तीय गड़बड़ी का मामला नहीं है.