H-1B Visa के बाद ट्रंप का लॉटरी वाला झटका, भारतीयों को छोड़ना होगा US का सपना?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेकर लाखों विदेशी कर्मचारियों की चिंता बढ़ा दी है. H-1B वीजा पर पहले ही 1 लाख डॉलर की वार्षिक फीस लगाई जा चुकी है और अब इसके चयन सिस्टम में भी बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया गया है. मंगलवार को अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि अब तक लागू लॉटरी सिस्टम को हटाकर एक नया वेतन-आधारित चयन लागू किया जा सकता है.
इस नए नियम का असर भारतीय कामगारों पर पड़ेगा क्योंकि H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय ही हैं. पहले ये लॉटरी सिस्टम से मिलता था लेकिन अब अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने लॉटरी खत्म करने का प्रस्ताव रखा है. नए प्लान के तहत वीजा का चयन एक चार-स्तरीय वेतन प्रणाली पर होगा. ये सिस्टम अमेरिका में काम का सपना देख रहे भारतीयों के लिए और भी ज्यादा मुश्किलें पैदा करेगा.
H-1B वीजा में कैसे होता है चयन?
H-1B वीजा की शुरुआत 1990 में हुई थी. यह उच्च-शिक्षित और स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए बनाया गया था ताकि वे अमेरिका में काम कर सकें. हर साल 85,000 लोगों को यह वीजा दिया जाता है, जिसमें 65,000 सामान्य कैटेगरी और 20,000 उच्च डिग्री धारकों के लिए आरक्षित हैं. अभी वीजा चयन का काम लॉटरी सिस्टम से होता है. इस तरह नया ग्रेजुएट हो या सीनियर कर्मचारी, सबको बराबर मौका मिलता है. साल 2024 में 399395 H-1B वीजा जारी हुए थे, जिनमें 71 प्रतिशत भारतीयों को मिले.
अब अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने लॉटरी खत्म करने का प्रस्ताव रखा है. नए प्लान के तहत वीजा चयन एक चार-स्तरीय वेतन प्रणाली पर होगा-
- लेवल 1- एंट्री-लेवल कर्मचारी
- लेवल 2- योग्य प्रोफेशनल
- लेवल 3- अनुभवी पेशेवर
- लेवल 4- वरिष्ठ और अत्यधिक विशेषज्ञ
इसमें दिक्कत ये है कि ऊंची सैलरी पाने वाले उम्मीदवारों के नाम कई बार लॉटरी में डाले जाएंगे, जबकि शुरुआती स्तर के कर्मचारियों का नाम सिर्फ एक बार. ऐसे में बड़ी कंपनियों का फायदा छोटे स्टार्टअप्स का नुकसान होगा.
भारतीयों के लिए क्यों मुसीबत?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से भारतीय युवा पेशेवर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. इमिग्रेशन वकील निकोल गुनेरा की मानें तो अगर मेटा जैसी कंपनी किसी इंजीनियर को $1,50,000 ऑफर करती है तो उसके नाम लॉटरी में कई बार आएंगे, लेकिन किसी छोटे स्टार्टअप का जूनियर डेवलपर जो $70,000 कमाता है, उसका नाम सिर्फ एक बार आएगा.’ इस तरह नुकसान छोटे स्टार्टअप्स का होगा. अमेरिकी इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट में वीजा आवंटन का नियम अलग है. इसके मुताबिक वीजा उसी क्रम में जारी होना चाहिए जिसमें आवेदन आते हैं.
भारत-अमेरिका संबंधों पर होगा असर
H-1B वीजा भारत और अमेरिका के बीच एक अहम कड़ी माना जाता है. भारतीय आईटी कंपनियां, अमेरिकी प्रोजेक्ट्स में इन कर्मचारियों पर निर्भर रहती हैं. नए नियम लागू हुए तो न केवल भारतीयों के मौके घटेंगे बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. अभी कई इमिग्रेशन विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके खिलाफ कानूनी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं, लेकिन अगर यह लागू हो गया, तो अमेरिका में विदेशियों का काम करना और भी मुश्किल हो जाएगा.