यूपी का डॉक्टर डेथ अरेस्ट, 50 हत्याएं करने वाला , मर्डर के बाद शव मगरमच्छों को खिला देता था
अलीगढ़ के कुख्यात सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा उर्फ “डॉक्टर डेथ” को गिरफ्तार कर लिया गया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसे रविवार को राजस्थान के दौसा से पकड़ा। डॉक्टर डेथ दिल्ली से लेकर हरियाणा और राजस्थान तक 50 से अधिक लोगों की हत्या कर चुका है।
हत्या के बाद शवों को नहर में मगरमच्छों के बीच फेंक देता था। डॉक्टर डेथ अगस्त, 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर बाहर आया था। तब से फरार चल रहा था। कई जगहों पर फरारी काटने के बाद वह दौसा के एक आश्रम में पुजारी बनकर छिपा था।
जब क्राइम ब्रांच की टीम उसे पकड़ने पहुंची, तब वह प्रवचन दे रहा था। 67 साल का डॉक्टर डेथ पूर्व में एक किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट से भी जुड़ा हुआ था। उसे 7 मामलों में उम्रकैद और एक मर्डर केस में फांसी की सजा हो चुकी है।
तहेरे भाई रामवीर शर्मा बताते हैं- देवेंद्र ने बुलंदशहर में बहन के यहां रहकर इंटर की पढ़ाई की थी। इसके बाद पटना से BAMS किया। 1982 में शादी की। देवेंद्र ने छर्रा में गैस की एजेंसी खोली थी। इसमें 11 लाख रुपए निवेश किए, लेकिन कंपनी भाग गई और सारा पैसा डूब गया। 1992 में वह राजस्थान चला गया। उसके बाद से वह गांव नहीं आया।
पुलिस के मुताबिक, एजेंसी में घाटा लगने के बाद उसने मानव अंगों की तस्करी शुरू कर दी। इस तरह हत्या की ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देते हुए वह एक खूंखार सीरियल किलर बन गया। 1998 से 2004 के बीच उसने अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चलाया, जिसमें 125 से ज्यादा ट्रांसप्लांट करवाए।
इस मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। उसने पुलिस के सामने जुर्म कबूल किया था। गिरफ्तारी के बाद 2020 में वह 20 दिन की पैरोल पर बाहर आया, लेकिन 7 महीने तक गायब रहा। बाद में उसे दिल्ली से पकड़ा गया। 2023 में फिर उसे दो महीने की पैरोल मिली, लेकिन 3 अगस्त के बाद वह फिर से फरार हो गया। अलीगढ़ एसपी देहात अमृत जैन ने बताया-देवेंद्र थाना छर्रा का हिस्ट्रीशीटर है। उस पर 1994 में पहला मामला थाना बरला में कातिलाना हमले का दर्ज हुआ था। इसके बाद FIR की सूची बढ़ती गई।
पुलिस के अनुसार, आरोपी पर हत्या की सनक सवार थी। इसके लिए वह खासतौर पर टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाता था। वह टैक्सी बुक करता और फिर ड्राइवर की हत्या कर देता था।
शव को उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों के लिए मशहूर हजारा नहर में फेंक देता था। वहां पलक झपकते ही मगरमच्छ शव को खा जाते थे, इसलिए आरोपी के खिलाफ पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल पाता था। इसके बाद वह टैक्सियों को ब्लैक मार्केट में बेच देता था।