बांके बिहारी मंदिर का यूपी सरकार ने बनाया ट्रस्ट
मथुरा में बांके बिहारी मंदिर के लिए यूपी सरकार ने ट्रस्ट बना दिया है। प्रमुख सचिव अतुल श्रीवास्तव ने यह आदेश जारी किया। इस ट्रस्ट के काम भी तय किए गए हैं। अब ट्रस्ट के पदाधिकारी ही तय करेंगे कि पूजा व्यवस्था कैसी होगी? त्योहारों पर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था कैसी रहेगी?
इस ट्रस्ट का कामकाज देखने के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) को तैनात किया गया है। ट्रस्ट में 18 सदस्य होंगे। अधिसूचना के अनुसार, बोर्ड में 4 तरह के सदस्य होंगे। पदेन सदस्य के रूप में 7 अधिकारी होंगे। वहीं 11 अन्य सदस्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल किए जाएंगे। ट्रस्ट में वैष्णव परंपरा, संप्रदाय या पीठों से संबंधित 6 लोग शामिल होंगे। 3 सदस्य शिक्षाविद्, उद्यमी, समाजसेवी होंगे। मंदिर के गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य होंगे।
सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन में योगी सरकार श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास के सीईओ पद पर किसी वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है।
सदस्यों का कार्यकाल 3 साल का होगा अधिसूचना के मुताबिक, सदस्यों का कार्यकाल 3 साल का रहेगा। कोई भी सदस्य 2 बार से ज्यादा नियुक्त नहीं किया जाएगा। सभी सदस्य हिंदू होंगे, जो सनातन धर्म को मानने वाले होंगे। न्यास में ऐसा कोई भी ऐसा व्यक्ति सदस्य नहीं बनेगा, जिसको कोर्ट द्वारा अपराधी ठहराया गया हो। इसके अलावा मृत्यु अथवा अन्य किसी कारण से सदस्य के हटने पर नए सदस्य की नियुक्ति बोर्ड के अन्य सदस्यों द्वारा बहुमत के आधार पर की जाएगी।
सरकारी अधिकारी सदस्यों को वोट का अधिकार नहीं सबसे खास बात इस अधिसूचना में यह है कि सरकारी अधिकारी जो 7 सदस्य इस ट्रस्ट में होंगे, उनको वोट देने का अधिकार नहीं होगा। वे केवल बोर्ड के विचार-विमर्श में भाग लेंगे और राय देने के हकदार रहेंगे।
बोर्ड की बैठक 3 महीने में एक बार अवश्य होगी। योगी सरकार के बिहारी जी मंदिर कॉरिडोर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ सेवायत रसिक राज गोस्वामी और देवेंद्र नाथ गोस्वामी की पुर्न याचिका पर 27 मई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
15 मई को बांके बिहारी मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी थी। इसके बाद अब 5 एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा।
कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपए से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की इजाजत दी थी। साथ ही शर्त लगाई थी कि अधिगृहीत भूमि भगवान के नाम पर पंजीकृत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को भी संशोधित किया था। हाईकोर्ट ने मंदिर के आसपास की भूमि को सरकारी धन का उपयोग करके खरीदने पर रोक लगा दी थी।
बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में ईश्वर चंद्र शर्मा ने याचिका दाखिल की थी। इसमें दो मुद्दे रखे गए थे। पहला- रिसीवर को लेकर, दूसरा- कॉरिडोर निर्माण को लेकर। इन दोनों मुद्दों पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया।
मंदिर के खजाने से खरीदी जाएगी कॉरिडोर के लिए जमीन बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के लिए प्रदेश सरकार मंदिर के खजाने की राशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदना चाहती थी। लेकिन, इसका मंदिर के गोस्वामियों ने विरोध किया और मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था।
हाइकोर्ट ने मंदिर के खजाने की राशि के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता ईश्वर चंद्र शर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और कॉरिडोर को लेकर याचिका दाखिल की थी।
इसके बाद 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश में कहा था कि मंदिर के खजाने से कॉरिडोर की जमीन खरीदने के लिए पैसा लिया जा सकेगा।
500 करोड़ रुपए से बनेगा कॉरिडोर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होगा। यह खर्च भूमि अधिग्रहण के लिए किया जाएगा। बांके बिहारी मंदिर के खजाने में करीब 450 करोड़ रुपए हैं। इसी धनराशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदी जाएगी। इस जमीन को अधिगृहीत करने में जिनके मकान और दुकान आएंगे, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।