UP News: यूपी के वोटर लिस्ट में होने जा रहा बड़ा बदलाव
विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. बिहार की तर्ज पर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जिसके तहत प्रदेश के प्रत्येक मतदाता को गणना फॉर्म भरकर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा. मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि जैसे ही भारत निर्वाचन आयोग से तिथियों की घोषणा होगी, बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) गणना फॉर्म लेकर घर-घर पहुंचेंगे. इस अभियान का लक्ष्य 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एकदम सटीक और पारदर्शी मतदाता सूची तैयार करना है.
एसआईआर अभियान में वर्ष 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाया गया है, जिसे मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश की वेबसाइट ceouttarpradesh.nic.in पर अपलोड करने की प्रक्रिया चल रही है. यह सूची विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए उपयोग में लाई जाती है. बीएलओ प्रत्येक मतदाता को प्री-प्रिंटेड गणना फॉर्म की दो प्रतियां उपलब्ध कराएंगे, जिनमें से एक प्रति मतदाता को हस्ताक्षर के बाद बीएलओ के पास जमा करानी होगी. यदि किसी मतदाता का नाम 2003 की सूची में दर्ज है, तो वह केवल अपनी जानकारी सत्यापित करवाकर नाम फाइनल सूची में शामिल करवा सकता है.
रिणवा ने बताया, “हमारा प्रयास है कि बीएलओ स्वयं 2003 की मतदाता सूची से डिटेल निकालकर फॉर्म के साथ जोड़ दें, ताकि मतदाताओं को असुविधा न हो.” अनुमान है कि प्रदेश के 15 करोड़ 42 लाख मतदाताओं में से करीब 70 प्रतिशत का सत्यापन 2003 की सूची के आधार पर पूरा हो जाएगा.
2003 की मतदाता सूची में दर्ज मतदाता: इनके लिए सत्यापन के दौरान 2003 की सूची का ब्योरा देना पर्याप्त होगा. बीएलओ उनकी जानकारी फॉर्म के साथ जोड़कर नाम फाइनल करेंगे.
1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे मतदाता: जिनका नाम 2003 की सूची में नहीं है, उन्हें भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मान्य 11 दस्तावेजों (जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड) में से कोई एक जमा करना होगा.
1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाता: इन मतदाताओं को अपना एक मान्य दस्तावेज और माता-पिता में से किसी एक का मान्य दस्तावेज देना होगा. यदि माता-पिता का नाम 2003 की सूची में है, तो वह ब्योरा भी प्रमाण के रूप में स्वीकार्य होगा.
2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे मतदाता: इन्हें स्वयं और अपने माता-पिता दोनों के लिए एक-एक मान्य दस्तावेज जमा करना होगा.
बीएलओ को विशेष प्रशिक्षण
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों और बीएलओ को विशेष प्रशिक्षण दे दिया है. बीएलओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे मतदाताओं को फॉर्म भरने में हरसंभव सहायता प्रदान करें. साथ ही, राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) को भी प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा ताकि सत्यापन में पारदर्शिता बनी रहे. रिणवा ने कहा, “यह अभियान न केवल मतदाता सूची को अपडेट करेगा, बल्कि फर्जी वोटिंग को रोकने में भी कारगर होगा. हमारा लक्ष्य है कि हर पात्र मतदाता का नाम सूची में शामिल हो और कोई गलत नाम न रहे.”
युवा और ग्रेजुएट वोटरों पर विशेष ध्यान
इस अभियान में 18-19 वर्ष के युवा मतदाताओं और ग्रेजुएट कांस्टीट्यूएंसी के लिए पंजीकरण पर विशेष जोर है. 1 नवंबर 2025 तक स्नातक होने वाले युवाओं को विधान परिषद चुनावों के लिए पंजीकृत किया जाएगा. इसके लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे. अनुमान है कि इस प्रक्रिया से 10-12 लाख नए मतदाता जुड़ सकते हैं.
यूपी में पहले से ही ड्राफ्ट और फाइनल मतदाता सूची voters.eci.gov.in पर उपलब्ध है, लेकिन SIR के जरिए यह और सटीक होगी. ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलओ की कमी और जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों को देखते हुए आयोग ने डिजिटल ऐप और हेल्पलाइन नंबर 1950 शुरू किया है. मतदाता अपने फॉर्म की स्थिति ऑनलाइन चेक कर सकेंगे.