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‘UPSC के पास कोई पावर नहीं, जो मुझे हटा सके’, पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में द‍िया जवाब

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द‍िल्‍ली. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को मेरे ख‍िलाफ कार्रवाई करने और बर्खास्‍त करने का कोई अध‍िकार नहीं है. पूजा खेडकर ने द‍िल्‍ली हाईकोर्ट में दाख‍िल अपने जवाब में कहा क‍ि उनकी उम्‍मीदवार को अयोग्‍य ठहारने की कोई भी पावर यूपीएससी के पास नहीं है.

यूपीएससी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपने जवाब दाख‍िल क‍िया. पूजा खेडकर ने कहा कि एक बार प्रोबेशनर के रूप में चयनित और नियुक्त होने के बाद यूपीएससी को उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि यूपीएससी में अपने नाम में हेरफेरी नहीं की है या कोई गलत जानकारी नहीं दी है. हाईकोर्ट ने इस मामले में खेडकर के जवाब पर यूपीएससी और दिल्ली पुलिस भी अपना पक्ष रखने के ल‍िए समय द‍िया है.

क्‍या थी यूपीएससी और द‍िल्‍ली पुल‍िस की दलील?
यूपीएससी ने दिल्ली हाईकोर्ट में पूर्व आईएएस प्रोबेशनर अफसर पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि उन्होंने आयोग और जनता से धोखाधड़ी की है. दिल्ली पुलिस ने इस आधार पर गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका को खारिज करने की भी मांग की थी कि उन्हें कोई भी राहत देने से जांच में रूकावट उत्पन्न होगी. इस मामले का जनता के विश्वास के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की ईमानदारी पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा.

अदालत में दाखिल अपने जवाब में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने कहा कि खेडकर से हिरासत में पूछताछ करना ‘धोखाधड़ी’ की गंभीरता को उजागर करने के लिए आवश्यक है, जो अन्य व्यक्तियों की मदद के बिना नहीं किया जा सकता था. इसलिए, उनकी गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिका खारिज की जानी चाहिए.

खेडकर ने कथित तौर पर आरक्षण लाभ पाने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी दी. 31 जुलाई को यूपीएससी ने खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया. दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.

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