US Attack On Iran: 125 फाइटर जेट, तीन ठिकाने और 25 मिनट में मिशन कंप्लीट
ईरान पर हमले के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री और यूएस डिफेंस चीफ ने प्रेस कांफ्रेंस की. बताया कि अमेरिका ने हमला क्यों किया? उसका मकसद क्या था? क्या वह अयातुल्ला खामेनेई का तख्तापलट चाहता है? क्या वह फिर हमला करेगा? यूएस सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस ने कहा, हमारा मकसद सिर्फ परमाणु ठिकानों को नेस्ताबूद करना था, वो हमने पूरा किया. इस ऑपरेशन में 125 फाइटर जेट शामिल थे और ईरान में सिर्फ 25 मिनट में इसे पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.
यूएस डिफेंस चीफ ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप का आदेश मिलने के बाद शुक्रवार आधी रात अमेरिका से कई B-2 बमवर्षक विमानों ने उड़ान भरी. ये हमला अचानक और गुप्त रूप से करने की रणनीति के तहत था. ईरान के समय के अनुसार रात करीब 9 बजे (भारतीय समयानुसार शनिवार सुबह 10:30 बजे) हमारे फाइटर जेट ईरान की ओर बढ़ रहे थे, तब अमेरिका की एक पनडुब्बी ने इस्फहान में स्थित ईरान के अहम ठिकानों पर 24 से ज्यादा टोमहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं. इसके बाद B-2 विमानों ने तड़के 2:10 बजे (भारतीय समयानुसार शनिवार रात 5:10 बजे से 5:35 बजे) ईरान के तीनों न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले किए गए. यूएस डिफेंस चीफ ने बताया कि सिर्फ 25 मिनट में तीनों न्यूक्लियर साइट तबाह करने के बाद अमेरिकी विमान ईरान की सीमा से बाहर निकल आए.
यूएएस जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के प्रमुख ने बताया कि इस ऑपरेशन में 125 से ज्यादा अमेरिकी फाइटर जेट शामिल थे. 75 सटीक निशाना लगाने वाले हथियारों का इस्तेमाल हुआ. ईरान की सतह से हवा में मार करने वाली एयर डिफेंस सिस्टम को अमेरिकी हमले का अंदाजा तक नहीं हुआ. तीनों ठिकानों पर भारी तबाही मचाई गई. यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा B-2 बमवर्षक हमला था. पत्रकारों के सवाल पर अमेरिकी रक्षा मंत्री पीटर हेगसेथ ने कहा, यह कोई ओपन वॉर नहीं है. जरूरत पड़ी तो फिर से हमला करेंगे. लेकिन इस ऑपरेशन का मकसद एकदम साफ और फोकस्ड था. हमें सिर्फ ईरानी परमाणु ताकत को खत्म करना था. हमने ईरान को सीधा और निजी तौर पर कई संदेश भेजे हैं. युद्ध में कुछ भी हो सकता है, लेकिन हमने ऑपरेशन की सीमा खुद तय की थी.
पूछे जाने पर पीटर हेगसेथ ने कहा, ट्रंप शांति प्रक्रिया के पक्ष में थे और कूटनीतिक हल चाहते थे. लेकिन ईरान की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिला. कोई एक खास पल नहीं था, लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब लगा कि अब कार्रवाई जरूरी है. जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका ईरान में तख्तापलट चाहता है. इस पर पीटर हेगसेथ ने कहा, इस मिशन का मकसद सत्ता परिवर्तन नहीं था. राष्ट्रपति ट्रंप ने केवल ईरानी परमाणु खतरे को खत्म करने के लिए सटीक सैन्य कार्रवाई की मंजूरी दी, ताकि अमेरिका, हमारे सैनिकों और सहयोगी इजरायल की सुरक्षा की जा सके. हमले से जो चाहा, वो मिला. उन्होंने कहा, हमारी सभी मिसाइलें अपने लक्ष्यों पर सही तरीके से लगीं.
पीटर हेगसेथ ने कहा, हमने ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकाने फोर्डो पर हमला कर उसे भारी नुकसान पहुंचाया है. लेकिन हमें पता है कि यह युद्ध लंबा नहीं खिंचेगा. राष्ट्रपति ट्रंप ने हमें एकदम साफ और शक्तिशाली मिशन सौंपा है. ईरानी शासन को यह समझना होगा कि अमेरिका शांति चाहता है, हल बातचीत से ही निकलेगा. हम साफ कहना चाहते हैं कि ईरान के लिए बातचीत का दरवाजा खुला हुआ है. जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या अमेरिका सहयोगी देशों की चिंता समझता है? हेगसेथ ने कहा, हम सहयोगियों का सम्मान करते हैं और उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं. तेहरान अच्छी तरह जानता है कि अमेरिका की शांति के लिए क्या शर्तें हैं और हमें उम्मीद है कि वे वापस आएंगे.