वाराणसी : अनिरुद्धाचार्य के पुतले पर महिलाओं ने बरसाईं चप्पलें
वाराणसी, ‘लड़कियां मुंह मारती हैं’ वाले बयान पर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ गुस्सा थम नहीं रहा है। वाराणसी में मंगलवार को महिलाओं ने अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ जुलूस निकाला। उनके पुतले पर चप्पलें मारीं। फिर जमीन पर पटककर लातों से कुचला।
महिलाओं को पुतला फूंकने की कोशिश की तो पुलिस ने छीन लिया। इस दौरान महिलाओं की पुलिस से नोकझोंक हुई। पुलिस ने हाथ जोड़कर मामले को शांत कराया।
महिलाओं ने कथावाचक को नारी विरोधी बताया। उनके हाथों में तख्तियों थीं, जिन पर ‘अनिरुद्धाचार्य माफी मांगो’ जैसे स्लोगन लिखे थे। महिलाओं ने कहा- कथावाचक को अरेस्ट करना चाहिए। महिलाओं ने करीब एक किमी तक जुलूस निकाला।
दरअसल, कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का एक महीने पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था। इसमें उन्होंने लिव-इन को लेकर बयान दिया था। अनिरुद्धाचार्य ने कहा था- लड़कियां 4-5 जगह मुंह मारकर आती हैं। हालांकि, यह वीडियो दो साल पुराना है।
शंकर सेना महिला विंग की अध्यक्ष प्रियंका द्विवेदी के नेतृत्व में करौली आश्रम से 200 महिलाओं ने कथावाचक का पुतला लेकर जुलूस निकाला। कथावाचक के खिलाफ नारेबाजी की। महिलाएं कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने जा रही थीं।
जुलूस दीनदयाल संकुल गेट पर पहुंचा था, जहां पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान महिलाओं ने कथा वाचक के पुतले पर चप्पलें बरसाईं। पुलिस ने उनसे पुतला छीना तो महिलाएं गुस्सा हो गईं।
सड़क पर गिराकर कथावाचक के पुतले को पैरों से कुचला बाद में महिलाओं ने कथावाचक का पुतला लेकर उसे सड़क पर फेंक दिया। फिर उसे पैरों से कुचला। इस दौरान पुलिस वालों को महिलाओं के सामने हाथ जोड़ने पड़े। इसके बाद महिलाएं शांत हुईं। महिलाओं ने चेतावनी दी कि प्रशासन ने अविलंब कार्रवाई नहीं की तो कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन होंगे।
महिलाएं बोलीं- अनिरुद्वाचार्य को जेल भेजा जाए महिलाओं ने कहा, कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महिलाओं और बच्चियों के वस्त्रों, उनके निजी जीवन को लेकर टिप्पणी करते हैं। उनके द्वारा निरंतर अशोभनीय न घृणित वक्तव्य दिए जा रहे है, इस प्रकार की टिप्पणियों से पूरी नारी समाज आहत, असहज और अपमानित महसूस कर रहा है।
अपने इन घृणित और असमाजिक बयानों से आधी आबादी के चरित्र को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं और उनके खिलाफ एक्शन भी नहीं हो रहा है। उनके गैर जिम्मेदाराना बयानों से बच्चियों, महिलाओं का अपने ही परिवार के बीच विश्वास का संकट उत्पन्न हो गया है।
उनका यह बयान कि बच्चियों का बाल विवाह करा देना चाहिए, उनका विवाह 16 वर्ष की आयु के अंदर ही कर देना चाहिए, अत्यंत ही अमानवीय, घृणित, असामाजिक, अशास्त्रीय होने के लाल-साथ भारत के संविधान के भी विरुद्ध है, जो बाल यौन उत्पीड़न बाल विवाह अधिनियम के अपराध की श्रेणी में आता है। प्रधानमंत्री के महाभियान ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओं को सीधी क्षति पहुंचाता है। इसके खिलाफ पास्को एक्ट की धाराओं में केस दर्ज हो, बनारस में ट्रायल चले और जेल भेजा जाए।