सावन क्यों माना जाता है महत्वपूर्ण?
दिल्ली, स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने एक बार ऋषि सनत्कुमार से कहा था कि सावन का महीना उन्हें बहुत प्रिय है। इस महीने की हर तिथि और दिन त्योहारों और व्रत-उपवासों से भरा होता है। सावन के दौरान नियम और भक्ति के साथ पूजा करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और उसे दैवीय आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यता ये भी है कि भगवान शिव इस महीने में अपने ससुराल गए थे, जहां उनका स्वागत जल चढ़ाकर किया गया था।
सावन के दौरान रुद्राभिषेक का महत्व
रुद्राभिषेक या शिवलिंग को स्नान कराने की पवित्र रस्म समुद्र मंथन की कथा से गहराई से जुड़ी हुई है। मंथन के दौरान, घातक हलाहल विष निकला, जिसे भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए पी लिया। विष ने उनके शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर दी। उन्हें शांत करने के लिए, देवताओं ने लगातार उन पर जल डाला। इसी वजह से सावन के दौरान शिवलिंग पर जल और अन्य पवित्र चीजें चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
सावन में भगवान शिव संभालते हैं ब्रह्मांड की बागडोर
चातुर्मास शुरू होने के साथ ही भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। जगतपालक इस दौरान ब्रह्मांड संभालने की जिम्मेदारी अन्य देवताओं को सौंप देते हैं। सबसे पहले आता है सावन का महीने, जब संसार का संचालन भोलेनाथ करते हैं।सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, ये साल का पांचवां महीना है और आमतौर पर जुलाई और अगस्त के बीच आता है। इस दौरान भक्त सावन सोमवार व्रत (सोमवार व्रत) रखते हैं, जिसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।