ज्ञानवापी के तहखाने में रखीं भगवान गणेश-लक्ष्मी की पूजा, रात 11 बजे की गई पूजा-अर्चना
वाराणसी, आधिकारियों ने रात 8 बजे ज्ञानवापी तहखाने की बाहर से ही जांच-पड़ताल की। रात 9 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ कम होने के बाद 4 नंबर गेट से प्रशासन ने लोगों का प्रवेश बंद करा दिया। करीब 9:30 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच विश्वनाथ मंदिर के पूर्वी गेट से ट्रस्ट के कर्मचारियों को बुलाकर बैरिकेडिंग हटाने का काम शुरू किया। लगभग एक घंटे में रात 10.30 बजे तक बैरिकेडिंग को हटा दिया गया।
इसके बाद काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के कर्मचारियों ने अंदर सफाई की। ट्रस्ट की ओर से तहखाने में पूजा की सामग्री लाई गई। ट्रस्ट के 5 पुजारी बुलाए। फिर रात 11 बजे पूजा-अर्चना की गई। पूजा के समय तहखाने में कमिश्नर बनारस, CEO विश्वनाथ मंदिर, ADM प्रोटोकॉल, गणेश्वर शास्त्री द्रविड और पंडित ओम प्रकाश मिश्रा मौजूद थे। गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ की अगुआई में विश्वनाथ मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश मिश्रा ने पूजा की।
ओम प्रकाश मिश्रा काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के पुजारी हैं। मंगला आरती में मुख्य अर्चक की भूमिका यही निभाते हैं। पूजा के बाद कुछ लोगों को चरणामृत और प्रसाद भी दिया गया। आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने कलश स्थापित किया। फिर मंत्रोच्चार कर गौरी गणेश और लक्ष्मी का आह्वान किया।
पुराधिपति के आंगन में सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर पूजन भी किया। तहखाने की दीवार पर भगवा वस्त्र लगाकर देवी देवताओं नैवेद्य, फल और भोग लगाया और आरती उतारी।
वाराणसी DM ने कहा- कोर्ट के ऑर्डर का पालन किया; ओवैसी बोले- यह फैसला गलत है
- वाराणसी DM एस राजलिंगम ने कहा कि मैंने कोर्ट के आदेश का पालन किया।
- असदुद्दीन ओवैसी बोले- ‘जज साहब ने जो फैसला लिया, वह पूरी तरह से गलत है। यह प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 का उल्लंघन है। मस्जिद के तहखाने में 30 साल के बाद पूजा की इजाजत दी गई है। वहां मूर्तियां कहां हैं। किसने मूर्तियां देखीं। आप इंतजामिया कमेटी को अपील के लिए 30 दिन का टाइम देते। अब इंतजामिया कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस गलत फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है।
- वकील सोहन लाल आर्य- आज हम बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अदालत का फैसला आने के बाद व्यवस्थाएं कर दी गई हैं, लेकिन व्यास का तहखाना अभी आम लोगों के लिए नहीं खोला गया है। हम 40 साल से इस क्षण का इंतजार कर रहे थे। अभी नंदी के बगल से जो रास्ता है, वहां बाबा के तहखाने की ओर जाने के लिए अलग से रास्ता बन गया है। वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने बताया कि अभी दर्शन की इजाजत नहीं है। हमें विश्वास है कि यहां भी अयोध्या की तरह मंदिर का निर्माण होगा।
व्यास परिवार ने मांगी थी पूजा की इजाजत
इस तहखाने में 1993 से पूजा-पाठ बंद था। यानी 31 साल बाद यहां पूजा-पाठ की गई। इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि काशी-विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट बोर्ड पुजारी का नाम तय करेगा। वाराणसी के DM 7 दिन के अंदर पूजा-पाठ के लिए जरूरी इंतजाम करेंगे।
तहखाने के पारंपरिक पुजारी रहे व्यास परिवार ने याचिका दाखिल कर पूजा-पाठ की इजाजत मांगी थी। कोर्ट ने 17 जनवरी को तहखाने का जिम्मा DM को सौंप दिया था। कोर्ट के आदेश पर DM ने मुस्लिम पक्ष से तहखाने की चाबी ले ली थी। DM की मौजूदगी में 7 दिन बाद यानी 24 जनवरी को तहखाने का ताला खोला गया था।
कोर्ट के आदेश- व्यास परिवार की याचिका पर पूजा की इजाजत, हिंदू पक्ष का जिक्र नहीं
वाराणसी कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि व्यास परिवार ब्रिटिश काल से तहखाने में पूजा करता रहा है। ताजा याचिका भी व्यास परिवार के शैलेंद्र कुमार व्यास ने लगाई थी। कोर्ट ने बुधवार के आदेश में तहखाने में पूजा-पाठ करने की अनुमति दी है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि कोर्ट ने हिंदुओं तहखाने में पूजा का अधिकार दे दिया, लेकिन कोर्ट के आदेश में इसका जिक्र नहीं है।